समस्तीपुर, 24 जनवरी (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि देश ने पिछले एक दशक में “अभूतपूर्व” विकास देखा है, जिससे लोगों की आकांक्षाएं बढ़ गई हैं।
समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती के अवसर पर समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम में आयोजित एक समारोह में धनखड़ ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में देश ने जो विकास देखा है, वह दुनिया में बेमिसाल है। हम पहले से ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और अगले पांच साल में हम तीसरे स्थान पर होंगे… विकसित भारत अब कोई सपना नहीं रह गया है, यह 2047 तक साकार हो जाएगा, जब हम देश की आजादी की शताब्दी मनाएंगे। भारत विश्व गुरु बनेगा।”
धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जुनून के साथ ऐसी योजनाएं शुरू कीं, जिनसे आम लोगों को गैस कनेक्शन, बिजली और शौचालय मुहैया कराकर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना संभव हुआ।
उन्होंने कहा, “लोगों को अब विकास का चसका लग गया है। उनकी आकांक्षाएं आसमान छू रही हैं।”
धनखड़ ने युवाओं से आग्रह किया कि वे सरकारी नौकरियों के बारे में सोचकर खुद को सीमित न रखें। उन्होंने कहा कि युवा अपनी असीमित क्षमता का इस्तेमाल कर अवसरों का पूरा लाभ उठाएं।
उपराष्ट्रपति ने केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारों पर कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह जैसे लोगों को सम्मान देने में विफल रहने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि जब कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई थी, तब राज्यसभा में कितना उत्साह था। मेरे मन में एक विचार आया, यह सम्मान ठाकुर को उनके निधन के 36 साल बाद मिला। ऐसा पहले क्यों नहीं हुआ? अब निश्चित रूप से बदलाव आया है। हमारे नायकों को गुमनामी से बाहर निकाला जा रहा है और उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।”
धनखड़ ने कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय का मसीहा बताते हुए कहा, ‘‘कर्पूरी हमेशा समानता, बंधुत्व और सभी के लिए न्याय में विश्वास रखते थे। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल गरीबों और वंचितों के हित में किया।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह (ठाकुर) भारत में सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण के पर्याय थे, जिन्होंने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी।
धनखड़ ने कहा, ‘कर्पूरी ठाकुर एक सच्चे राजनेता थे… वह एक अपवाद थे और उन्हें जननायक के रूप में जाना जाता था। उन्हें देश में सामाजिक न्याय के विचार को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें भारत रत्न देने का सरकार का फैसला हाशिए पर पड़े लोगों के एक मसीहा तथा समानता और सशक्तीकरण के एक दिग्गज के रूप में उनके सतत प्रयासों का प्रमाण है। बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल उल्लेखनीय था।’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ठाकुर ने सुनिश्चित किया कि शिक्षा उन लोगों के लिए सुलभ हो, जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर थे।
उन्होंने कहा कि ठाकुर ने ‘मैट्रिक (दसवीं कक्षा के)’ पाठ्यक्रम से अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के रूप में हटा दिया।
धनखड़ ने कहा कि सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े लोगों और दलित वर्ग के लिए आरक्षण की स्थिति तैयार करने में उनके प्रयास महत्वपूर्ण थे।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने समस्तीपुर में गोखुल कर्पूरी फुलेश्वरी डिग्री कॉलेज परिसर में वृक्षारोपण किया। उन्होंने कर्पूरी ग्राम में स्मृति भवन में कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।
भाषा
अनवर पारुल
पारुल
Follow us on your favorite platform:
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)