पटनाः बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक लखेंद्र रौशन का निलंबन बुधवार को रद्द कर दिया और इसके साथ ही विपक्षी दल ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार खत्म कर दिया। भाजपा विधायक ने सुबह के सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया और राजभवन तक मार्च किया। बाद में दोपहर दो बजे, सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर अध्यक्ष ने उन्हें सदन में बुलाया।
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अध्यक्ष ने रौशन के दो दिनों के निलंबन का विरोध कर रहे भाजपा सदस्यों को बुलाने के लिए कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा को भेजा। इसके बाद भाजपा सदस्य सदन में आए। नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं विधानसभाध्यक्ष को इस पहल के लिए धन्यवाद देता हूं। लोकतंत्र में, विपक्ष विधायिका का वैसा ही जरूरी हिस्सा है जैसा सत्ता पक्ष।’’
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विधानसभाध्यक्ष भी पिछली घटना को भूलने के मूड में दिखे और उन्होंने मार्शल को रौशन को सदन के अंदर लाने का आदेश दिया। रौशन ने कहा, ‘इस प्रतिष्ठित सदन के किसी भी निर्वाचित सदस्य की मंशा इसकी गरिमा को कम करने की नहीं है। कल जो कुछ भी हुआ, वह जानबूझकर नहीं था। लेकिन मैं उसके लिए खेद जताता हूं।’ इसके बाद अध्यक्ष ने उनके निलंबन को रद्द करने का प्रस्ताव किया जिसे सदन ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी।
एक दिन पहले सदन में रौशन की भाकपा(माले) लिबरेशन सदस्य सत्यदेव राम के साथ कहासुनी हुई थी। राम ने कहा, ‘मुझ पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और जो कुछ भी हुआ, वह पूर्व नियोजित प्रतीत होता है। बहरहाल, मैं भी खेद जताता हूं।’ उसके बाद सदन में सामान्य विधायी कामकाज शुरू हो गया और अध्यक्ष ने दोनों पक्षों से व्यवस्था बनाए रखने का आग्रह किया। इससे पहले सुबह भाजपा ने अपने विधायक रौशन के निलंबन का विरोध करते हुए विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने मंगलवार को रौशन को उनके अभद्र आचरण को लेकर दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया था। चौधरी ने पातेपुर के विधायक रौशन द्वारा माइक्रोफोन तोड़ने की घटना को गंभीरता से लिया था। विधायक ने हालांकि तर्क दिया था कि माइक्रोफोन ख़राब था और वह उसे ठीक कर रहे थे जिससे वह बाहर आ गया। वहीं उनकी पार्टी ने इस घटना को एक ‘दलित’ के उत्पीड़न के रूप में पेश करने की कोशिश की। भाजपा के सदस्य विधानसभा के बाहर नारे लगा रहे थे और तख्तियां लहरा रहे थे।
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक अख्तरुल ईमान शाही ने कहा कि भाजपा विधायकों के साथ कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। उन्होंने गुजरात और उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्यों का उदाहरण दिया, जहां ‘सदन में व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर’ विपक्षी विधायकों को सामूहिक रूप से निलंबित किए जाने की घटनाएं हुई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में कहा कि उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण घटना के आलोक में सरकार की सलाह पर एक फैसला किया और ऐसी घटना सदन के अंदर नहीं होनी चाहिए थी।
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