बीएसपीसी परीक्षा केंद्र पर मृत अधिकारी के परिवार ने सरकारी नौकरी, मुआवजे की मांग की |

बीएसपीसी परीक्षा केंद्र पर मृत अधिकारी के परिवार ने सरकारी नौकरी, मुआवजे की मांग की

बीएसपीसी परीक्षा केंद्र पर मृत अधिकारी के परिवार ने सरकारी नौकरी, मुआवजे की मांग की

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Modified Date: December 17, 2024 / 10:07 PM IST
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Published Date: December 17, 2024 10:07 pm IST

पटना, 17 दिसंबर (भाषा) बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान पिछले सप्ताह एक परीक्षा केंद्र पर दिल का दौरा पड़ने से मरने वाले अधिकारी के परिवार के सदस्यों ने मुआवजे के अलावा उनकी शोक संतप्त पत्नी के लिए सरकारी नौकरी की मंगलवार को मांग की।

पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मृतक अधिकारी राम इकबाल सिंह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) द्वारा नियुक्त संविदा कर्मचारी थे। सिंह को बापू परीक्षा केंद्र पर अपर परीक्षा अधीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था।

जिलाधिकारी ने बताया कि परिवार के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत आवेदन को आगे भेज दिया गया है ताकि उन्हें आवश्यक और पर्याप्त मुआवजा मिल सके।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘राम इकबाल सिंह के परिवार के सदस्यों ने कल मुझसे मुलाकात की और इस संबंध में एक आवेदन सौंपा। मैंने आवश्यक और पर्याप्त मुआवजे के लिए उनके आवेदन को बीएसईबी को भेज दिया है।’

इकबाल सिंह को 13 दिसंबर को बापू परीक्षा केंद्र में उस समय दिल का दौरा पड़ा था, जब कुछ अभ्यर्थियों ने प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था।

अधिकारियों ने इकबाल सिंह की मौत के लिए विरोध प्रदर्शनों के कारण उन्हें अस्पताल ले जाने में हुई देरी को जिम्मेदार ठहराया है और जांच रिपोर्ट में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

इकबाल सिंह के भतीजे सनी कुमार ने कहा, ‘‘वह (सिंह) परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे…जब मुझे पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है तो मैं तुरंत मौके पर पहुंचा। मैं उन्हें नजदीकी निजी अस्पताल ले गया और बाद में पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले गया…जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। 13 दिसंबर की ही रात्रि में पटना में उनका अंतिम संस्कार किया गया।’’

कुमार ने कहा, ‘‘मैंने इलाज से लेकर उनके शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए एम्बुलेंस किराए पर लेने तक का सारा खर्च स्वयं वहन किया था। 13 दिसंबर को जिला प्रशासन से कोई भी हमारी मदद करने नहीं आया। उन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं थी। हम बस मेरी चाची (इकबाल सिंह की पत्नी) के लिए सरकारी नौकरी और अन्य मुआवजे की मांग कर रहे हैं।’’

कुमार ने कहा, ‘‘मैं सोमवार को इस संबंध में पटना के जिलाधिकारी से व्यक्तिगत रूप से मिला और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि परिवार को आवश्यक और पर्याप्त मुआवजा मिलेगा।’’

सिंह के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है, जो नौवीं कक्षा में पढ़ता है।

राम इकबाल सिंह की छोटी बहन प्रेम लता ने रुंधे हुए स्वर में कहा, ‘‘मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि मेरा भाई अब नहीं रहा। मेरे भाई ने परीक्षा के तुरंत बाद गांव वापस आने का वादा किया था…अब वह कभी नहीं आएगा। हम सरकार से परिवार को पर्याप्त मुआवजा देने का आग्रह करते हैं ताकि वे अच्छी तरह से जी सकें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाभी (इकबाल सिंह की पत्नी) को मुआवजे के तौर पर कोई सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।’’

भाषा अनवर आशीष

आशीष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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