पटना, 20 मार्च (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पूर्ववर्ती राबड़ी देवी पर बृहस्पतिवार को एक बार फिर कटाक्ष करते हुए उन्हें याद दिलाया कि वह उनके पति को इस पद से ‘‘हटाये जाने’’ के कारण ही मुख्यमंत्री बन पाई थीं।
कुमार ने राज्य विधानपरिषद में एक चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए, चारा घोटाले में सीबीआई द्वारा आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद 1997 में राजद सुप्रीमो के इस्तीफे का जिक्र किया।
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन के सदस्यों के बीच, राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर सदन में आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला।
कुमार ने कहा, ‘‘सरकार अपराध की हर घटना की जांच करवाती है और दोषियों को अदालत के कठघरे में लाती है।’’
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में राजद के शासन काल की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘क्या उस समय कुछ किया गया। हिंदू, मुस्लिम का कितना झगड़ा हुआ करता था। लोग केवल अपना प्रचार करने में लगे रहते थे।’’
राबड़ी देवी ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में वह अपने आठ साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में बोल सकती हैं।
वहीं, कुमार ने मगही भाषा में उनपर तंज करते हुए कहा, ‘छोड़ा ना तोहरा कुछ मालूम है।’’
इसके बाद, जद(यू) सुप्रीमो ने कहा, ‘‘उनके पति ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, जब उन्हें (लालू को) पद से हटा दिया गया था। यह सब परिवार में ही रहा। सत्ता में रहते हुए उन्होंने कोई काम नहीं किया। उनके गड़बड़ करने की प्रवृत्ति ने मुझे उनसे नाता तोड़ने को मजबूर किया।’’
मौजूदा सत्र के दौरान यह तीसरा अवसर है जब कुमार और राबड़ी के बीच नोक-झोंक हुई है।
मंत्री अशोक चौधरी ने आरोप लगाया कि राजद के शासनकल के दौरान पार्टी (राजद) के वरिष्ठ नेता अपहरण के बदले फिरौती वसूल करते थे, जिसपर राबड़ी ने चौधरी को याद दिलाया कि एक पूर्व कांग्रेस नेता के रूप में उन्होंने उनके मंत्रिमंडल में काम किया था।
वर्ष 2017 में जद(यू) में शामिल हुए चौधरी ने रूंधे गले से राबड़ी देवी को सबूत पेश करने की चुनौती दी, इसपर राजद सदस्यों ने उनपर अपने मौजूदा राजनीतिक आकाओं की ‘चमचागिरी’ करने का आरोप लगाया।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की जारी नोक-झोंक के बीच सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदन नहीं चलने देने के लिए विपक्षी दल को फटकार लगाई और उससे कहा कि अगर वे अच्छा व्यवहार नहीं कर सकते तो वे सदन से बाहर जा सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा, ‘यह सभापति के रूप में मेरा चौथा कार्यकाल है और मुझ पर कभी भी पक्षपात का आरोप नहीं लगा है। लेकिन आज मेरे लिए चमचागिरी जैसा अपमानजनक शब्द इस्तेमाल किया गया है।’
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सभापति गलती से उस टिप्पणी को अपने बारे में की गई टिप्पणी समझ रहे हैं, जबकि यह उनके लिए नहीं बल्कि दूसरे सदस्य के लिए की गई थी।
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सभापति से अनुरोध किया कि किसी भी पक्ष द्वारा कहे गए ‘असंसदीय शब्दों’ को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए।
भाषा
अनवर सुभाष
सुभाष
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