पटना, चार जुलाई (भाषा) पटना में ऐतिहासिक जिला अभियंता कार्यालय भवन के एक बड़े हिस्से पर रविवार को बुलडोजर चला दिया गया।
यह कार्रवाई ऐसे दिन की गई, जब नागरिकों का एक समूह सुल्तान पैलेस और अन्य विरासत भवनों को ढहाए जाने से बचाने के तरीकों पर चर्चा के लिए बैठक कर रहा था।
नाम उजागर ना करने की शर्त पर एक युवा स्थानीय निवासी ने कहा, ‘‘ पुराने जिला अभियंता कार्यालय भवन का एक बड़ा हिस्सा आज (रविवार को) बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। ऐतिहासिक ढांचे को गिराने की प्रक्रिया पूर्वी हिस्से से शुरू की गई। मैंने बचपन से इस इमारत को देखा है। हमारा छोटा सा घर इसके ठीक पीछे था, जिसे हाल ही में एक नया कलेक्ट्रेट परिसर बनाने के लिए गंगा नदी तट पर बस्ती के अन्य ढांचों के साथ ढहा दिया गया था।’’
वास्तुशिल्प विशेषज्ञों के मुताबिक जिला अभियंता कार्यालय भवन, डच काल में बनाया गया था। यह मूल रूप से एक मंजिला संरचना थी, जिसके गंगा के सामने गुफाओं जैसे कमरे थे। पिछले सौ वर्षों में कार्यालयों में अतिरिक्त जगह बनाने के लिए छत पर कई निर्माण किए गए।
उच्चतम न्यायालय ने 13 मई को 18वीं शताब्दी के पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाए जाने का रास्ता साफ करते हुए कहा था कि औपनिवेशिक शासकों द्वारा बनाई गई प्रत्येक इमारत को संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास (आईएनटीएसीएच) की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी।
इसके अगले ही दिन तोड़फोड़ शुरू हो गई थी और 1938 में बनी जिला बोर्ड पटना इमारत पर सबसे पहले बुलडोजर चलाया गया था।
भाषा निहारिका प्रशांत
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