बिहार: महागठबंधन ने भोजपुरी को ‘आधिकारिक भाषा’ का दर्जा देने की मांग की |

बिहार: महागठबंधन ने भोजपुरी को ‘आधिकारिक भाषा’ का दर्जा देने की मांग की

बिहार: महागठबंधन ने भोजपुरी को ‘आधिकारिक भाषा’ का दर्जा देने की मांग की

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Modified Date: October 13, 2024 / 02:48 PM IST
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Published Date: October 13, 2024 2:48 pm IST

पटना, 13 अक्टूबर (भाषा) बिहार में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भोजपुरी बोली का विपक्षी महागठबंधन द्वारा पुरजोर समर्थन किये जाने के बाद इसे ‘आधिकारिक भाषा’ का दर्जा दिए जाने की मांग और तेज हो गई है।

महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और भाकपा (माले) लिबरेशन के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि वे इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में पांच भाषाओं मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के फैसले के बाद बिहार में भोजपुरी भाषा को आधिकारिक भाषा घोषित किये जाने की पुरानी मांग को नया समर्थन मिला है।

तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को पहले ही यह दर्जा मिल चुका है। अब ऐसी भाषाओं की संख्या 11 हो गई है।

भाकपा माले के लोकसभा सदस्य सुदामा प्रसाद ने कहा, “यह भाषा बिहार के भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान और जहानाबाद जैसे जिलों तथा झारखंड के कई हिस्सों में व्यापक रूप से बोली जाती है। संविधान की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल करने पर केंद्र ने चुप्पी क्यों साधी हुई है? ”

संविधान की आठवीं अनुसूची में अब 22 भाषाएं हैं। संविधान में पहले 14 भाषाओं को शामिल किया गया था जबकि आठ को बाद में जोड़ा गया।

गृह मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, आठवीं अनुसूची में 38 और भाषाओं को शामिल करने की मांग की जा रही है और उनमें से एक भोजपुरी भी है। प्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “नीतीश कुमार सरकार को भोजपुरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजनी चाहिए। हम संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाएंगे।”

बक्सर से राजद सांसद सुधाकर सिंह ने आरोप लगाया कि बिहार और केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार भोजपुरी भाषी लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

राजद सांसद ने कहा, “हम (महागठबंधन) भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में तत्काल शामिल करने की मांग करते हैं ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। इससे पहले हमने राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था लेकिन नीतीश कुमार सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ ​​मुन्ना तिवारी ने कहा कि यह भोजपुरी बोलने वाले लोगों की सबसे पुरानी मांगों में से एक है।

तिवारी ने कहा, “अनुसूची में शामिल किये जाने से किसी भाषा को कुछ लाभ पहुंचाता है। इससे सरकार के लिए भाषा के विकास के लिए कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है ताकि वह आगे बढ़े और समय के साथ संचार का एक प्रभावी माध्यम बन जाए।”

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने महागठबंधन नेताओं की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि किसी भाषा को ‘आधिकारिक भाषा’ का दर्जा देने की मांग के पीछे ठोस तथ्य होने चाहिए।

चौधरी ने कहा, “अगर मांग ठोस तथ्यों पर आधारित है तो कोई भी किसी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने से इनकार नहीं कर सकता।”

भाषा जितेंद्र प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)