पटना, 14 अगस्त (भाषा) पटना उच्च न्यायालय ने कैंसर से पीड़ित अपनी मां की देखभाल के लिए 196 दिनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से बर्खास्त किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक कर्मी को बहाल करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति पी.बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडे की पीठ ने मंगलवार को सीआरपीएफ के बर्खास्त सिपाही सुमित कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा, “संबंधित प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपीलकर्ता की सेवा को बहाल करें और कानून के अनुसार सेवाओं को विनियमित करें।”
अदालत ने सिपाही पर बर्खास्त किये जाने के बजाए जुर्माना लगाने का आदेश दिया। साथ ही तीन महीने की अवधि के भीतर आदेश का पालन करने को भी कहा।
अदालत ने कहा कि कई मौकों पर अपीलकर्ता ने डाक के माध्यम से छुट्टियों के विस्तार की मांग की लेकिन उसे 196 दिनों की अवधि के लिए बिना किसी स्वीकृत छुट्टी के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने (23 मई 2012 से चार दिसंबर 2012) के कारण भगोड़ा घोषित कर दिया गया और अपीलकर्ता की ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण विभागीय जांच शुरू हुई।
विभागीय जांच ने आलोक कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद कुमार ने खंड पीठ के समक्ष फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।
पीठ ने कहा, “वर्तमान मामले में, अपीलकर्ता को ड्यूटी से अनुपस्थित पाया गया और उसने स्पष्टीकरण दिया कि उसकी मां को कैंसर हो था और उसने अपनी मां के इलाज के लिए छुट्टी के लिए आवेदन किया था और यह उसके नियंत्रण से बाहर था।”
पीठ ने आदेश में कहा, “हमें मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में अपीलकर्ता के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा कि अपीलकर्ता के पास नियुक्ति स्थान छोड़ने का कारण है।”
अदालत ने एकल पीठ द्वारा एक अप्रैल 2019 को पारित किये गये आदेश को रद्द कर दिया साथ ही उसकी बर्खास्तगी के आदेश को भी निरस्त कर दिया।
भाषा सं अनवर जितेंद्र
जितेंद्र
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