पटना, सात अक्टूबर (भाषा) बिहार सरकार ने सोमवार को राज्य में सरकारी स्कूल शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए नयी नीति की घोषणा की, जिसमें गंभीर बीमारियों से पीड़ित और दिव्यांग शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने नीति की घोषणा करते हुए कहा कि तबादलों के लिए सभी आवेदन ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे।
कुमार ने कहा, ‘‘नयी तबादला नीति राज्य के सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापना में एकरूपता लाएगी। इससे न केवल शिक्षकों को राहत मिलेगी बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी होगा।’’
नीति में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई है। मंत्री ने कहा, ‘‘गंभीर रूप से बीमार, दिव्यांग, विधवा, तलाकशुदा, अकेले रहने वाले या पति-पत्नी शिक्षक जोड़े वाले शिक्षकों को तबादलों के दौरान प्राथमिकता दी जाएगी।’’
मंत्री ने कहा कि किसी भी विद्यालय में महिला शिक्षकों की संख्या 70 से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षकों को उनकी पदस्थापना के हर पांच साल बाद स्थानांतरित किया जाना चाहिए और विभाग उन्हें पदस्थापना के लिए प्राथमिकता देने के लिए 10 विकल्प देगा, जिससे निकटतम उपखंड या जिले में नियुक्ति सुनिश्चित होगी।
नयी नीति ने राज्य भर में योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 1.80 लाख से अधिक शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापना का रास्ता भी साफ कर दिया है।
यह नीति स्थानीय नगर निकायों द्वारा नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होती है, जिन्होंने योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। योग्यता परीक्षा बिहार में स्थानीय निकायों द्वारा नियोजित शिक्षकों के लिए एक परीक्षा होती है, जो सरकारी स्कूल के शिक्षकों के रूप में भर्ती होना चाहते हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘यह केवल बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) के माध्यम से चुने गए शिक्षकों, सरकारी शिक्षकों और अनिवार्य परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों पर लागू होगी।’’
उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर स्थानांतरण को लेकर शिकायतों के समाधान के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
भाषा अमित माधव
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