IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan Kawardha: रायपुर। माटी की कोख से जब भी कोई नन्हा पौधा झांकता है..समझ लीजिए..वो किसान के पसीने से नहाकर जीवंत हुआ है। किसान वो है.. जो खुद कष्ट सहकर दुनिया का पेट भरता है। मौसम से लड़कर, चुनौतियों को हराकर अपनी जिंद से वो खेतों हरा-भरा करता है। अनाज का हर दाना ऋणी होता है किसान का… और उतने ही कृतज्ञ हम सब हैं.. क्योंकि किसान न होते तो शायद हमारी विकास यात्रा ऐसी न होती। बदलते पर्यावरण और आबादी के दबाव के बीच देश का किसान सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहा है..लेकिन इस दौर में भी कई किसान अपनी तदबीर से तक़दीर बदलने में कामयाब रहे है।
आपको बता दें कि इस बार हम 11 ऐसे किसान… जिसमें 1 किसान समूह, 2 कृषि वैज्ञानिक और 1 ऐसे उद्यानिकी विभाग को भुइंया के भगवान सम्मान देने जा रहे हैं। जिन्होंने खेती को अपने इनोवेशन से आसान बनाने की कोशिश की। वहीं आईबीसी24 हर साल की तरह इस साल भी प्रदेश के हौसलामंद किसानों को सम्मान का एक मंच दे रहा है। हमने ईश्वर को नहीं देखा.. लेकिन अगर उसकी कोई सूरत होगी.. तो यकीनन वो किसान जैसे ही होगी। हमारी नज़र में किसान इस माटी के मान है.. वो भुइंया के भगवान हैं ।
कवर्धा जिले के एक छोटे से गांव गेगड़ा में एक युवक कृषि में नई क्रांति लाकर जिले के किसानों के लिए प्रेरणा बन गया हैं। मिलिए कुणाल सिंह ठाकुर से …जिन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद खेती-किसानी की जिम्मेदारी संभाली। क्रुणाल सिंह ठाकुर के पास पूर्वजों की लगभग 150 एकड़ जमीन है, जिसमें धान, गन्ना, सोयाबीन, अरहर और केले की खेती कर हर साल करीब 60 लाख रुपए की आमदनी लेते हैं।
IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan Kawardha: क्रुणाल सिंह खुद ही खेती की देख-रेख करते हैं। वे बताते हैं कि पढ़ाई करने के दौरान गांव में खेती से रू-ब-रू होते रहे और फिर धीरे-धीरे रुझान बढ़ता गया…जिसके बाद साल-2011 में पूरी तरह से खेती करने की ठानकर जिम्मेदारी ले ली। पहले साल अच्छी पैदावार नहीं हुई तो उन्होंने अगले साल फसल चक्र अपनाया और जैविक खेती करने का निर्णय लिया। आज उन्हें बहुत अच्छी आमदनी मिल रही है। क्रुणाल सिंह को ‘भूइंया के भगवान’ सम्मान देते हुए अत्यंत गर्व की अनुभूति हो रही है।
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