नर्मदापुरम : Moni Amavasya Narmadapuram आज माघ मास की अमावस्या है, जिसे मोनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन नर्मदा के सेठानी घाट सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर नर्मदा, गंगा, सिंधु, कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
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Moni Amavasya Narmadapuram मौनी अमावस्या के दिन दान देने का भी विशेष महत्व है। इस दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े और जूते आदि दान किए जाते हैं, जो शास्त्रों के अनुसार शुभ फल की प्राप्ति का कारण बनते हैं। इसके अलावा, इस दिन मौन धारण करना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि मौन से व्यक्ति को विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह दिन गरीबी और असफलताओं को दूर करने और सफलता प्राप्त करने का भी विश्वास है। सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने नर्मदा के विभिन्न घाटों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी समस्या के स्नान कर सकें।
मोनी अमावस्या का महत्व क्या है?
मोनी अमावस्या का महत्व इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान देने और मौन धारण करने में है। इसे पुण्य लाभ की प्राप्ति और पापों के नाश के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
मौनी अमावस्या पर कौन सी चीजें दान करनी चाहिए?
इस दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूते आदि चीजें दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
क्या मौनी अमावस्या पर मौन धारण करना जरूरी है?
मौन धारण करना इस दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और विशेष ऊर्जा की प्राप्ति दिलाने में सहायक होता है।
मौनी अमावस्या के दिन नर्मदा में स्नान करने का क्या महत्व है?
मौनी अमावस्या के दिन नर्मदा में स्नान करने से दोषों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है, जो इस दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
क्या मौनी अमावस्या पर नदी स्नान के अलावा कोई अन्य कर्म करना चाहिए?
नदी स्नान के अलावा इस दिन दान करना और मौन धारण करना भी शुभ होता है, जो व्यक्ति की आत्मिक और मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है।