भोपाल। MP Assembly Elections 2023 ठीक 28 दिन बाद मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार थम जाएगा। क्योंकि 17 नवंबर को मतदान होना है। लेकिन न तो बीजेपी की पूरी लिस्ट आई है और न ही कांग्रेस की। 3 दिन बाद नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएंगी। देरी के पीछे की वजह है अपनों का विरोध इसका सामना दोनों को करना पड़ रहा है। जो कल तक बीजेपी-कांग्रेस का झंडा उठा रहे थे। आज उनके हाथ बगावत का डंडा है..सवाल ये हैं जब विचारधारा की है। तो टिकट पर बवाल क्यों? और दूसरी बात ये आवन-जावन का मेल किसका बिगडेगे खेल?
MP Assembly Elections 2023 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी-कांग्रेस पूरी जोर अजमाइश लगा रही है। मगर इस जोर अजमाइश को जोर का झटका खुद पार्टी के नेता ही दे रहे हैं।
भोपाल में जहां कांग्रेस को बड़ा झटका लगा पूर्व विधायक सुंदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी ने बीजेपी ज्वाइन कर ली। वो त्योंथर से टिकट मांग रहे थे। टिकट मिला नहीं तो बीजेपी ज्वाइन कर लिया। दूसरी तस्वीर देपालपुर की बीजेपी से जुड़े जबरेश्वर सेना के संस्थापक राजेंद्र चौधरी ने की देपालपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी बीजेपी की मुसीबतें बढ़ा दी। चुनाव में टिकट नहीं मिलने या कटने से नाराज नेता अपना भविष्य दूसरी पार्टी में तलाशने से पीछे नहीं हटते। इसी का नतीजा है आवन-जावन का दौर चालू हो जाता है। बीजेपी-कांग्रेस में हाल-फिलहाल में आने-जाने वाले नेताओं की बात करे तो बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने पार्टी के खिलाफ ताल ठोक दी है। झाबुआ विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ विक्रांत भूरिया का विरोध हुआ शुरू हो गया। दावेदार जेवियर मेड़ा के समर्थको ने परिवारवाद का लगाया आरोप दतिया में कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री भानु ठाकुर ने भी कांग्रेस छोड़ दिया।
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मध्यप्रदेश में नेताओं के पाला बदलने का जो सिलसिला शुरु हुआ था अभी उसका क्लाइमेक्स बाकी है। क्योंकि अभी बीजेपी-कांग्रेस ने अपने सभी प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। मुमकिन है कि जब सभी नामों का ऐलान हो जाएगा। दो दलबदल या अतर्कलह और भी खुलकर सामने आ सकता है..चुनाव टक्कर का है इसमें कोई दो राय नहीं है, जो अपनों को संभाल लेगा। वो जीत की तरफ एक कदम आगे बढ़ा देगा..जिसका कुनबा बिखरा उनकी हार तय है।