Chunavi Chaupal in Datia छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के साल 2023 बेहद खास रहने वाला है। दोनों राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। लिहाजा अब दोनों ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मिया बढ़ रही है। विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है तो वहीं सरकार भी पुराने कार्यकाल में हुए कार्यों का हवाला देते हुए निशाना साध रही है।
Chunavi Chaupal in Datia इस चुनावी साल में एक बार फिर हम आपके पास आ रहे है। चुनावी चौपाल के जरिए हम आपसे संवाद कर आपके मुद्दों को जानेंगे और सरकार की योजनाओं सहित विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन पर फीडबैक लेंगे। इसी कड़ी में आज हम पहुंचे हैं मध्यप्रदेश के दतिया विधानसभा सीट पर…
Chunavi Chaupal in Datia दतिया विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा सीटों में से एक है। दतिया जिले में सवेढ़ा, भांडेर और दतिया विधानसभा सीटें आती हैं। दतिया भिंड लोकसभा सीट का ही हिस्सा है। इस सीट को मध्यप्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है। क्योंकि यहां से भाजपा के कद्दावर नेता और राज्य सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनाव लड़ते हैं। लिहाजा यहां की राजनीति काफी दिलचस्प रहती है।
पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था, तब से अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन 15 विधानसभा चुनाव में दतिया विधानसभा सीट पर सबसे अधिक कांग्रेस के विधायक रहे। 8 बार दतिया की जनता ने कांग्रेस के विधायक को चुना। 2 बार जनसंघ, 4 बार भाजपा के साथ 1 बार सपा को भी जिताया। इन 14 विधानसभा चुनाव में कुल 7 लोगों को विधानसभा पहुंचने का मौका मिला।
Read More : धर्म के बारे में ये क्या बोल गए शाहरुख, सोशल मीडिया में मचा बवाल…
पहला चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था। इस चुनाव में दतिया की जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी श्याम सुंदर श्याम को पहला विधायक चुन कर पहली विधानसभा का सदस्य बनाया था। लगातार दो बार श्री श्याम विधायक रहे। इसके बाद भारतीय जनसंघ के टिकट पं. सूर्यदेव शर्मा विधायक चुने गए। 1967 के चुनाव में एक बार फिर श्याम सुंदर श्याम को जनता ने चुना। 1972 के चुनाव में सेंवढ़ा विधायक प्रदीप अग्रवाल के पिता गुलाबचंद्र अग्रवाल दतिया से विधायक चुने गए। 1977 व 1980 में भी जनता ने कांग्रेस के श्याम सुंदर श्याम पर ही विश्वास जताया। 1985 में हुए चुनाव में श्याम सुंदर श्याम का निधन हो गया। उनके स्थान पर उनके पुत्र राजेंद्र भारती को कांग्रेस ने टिकट दिया। जनता की संवेदनाएं राजेंद्र के साथ गईं। राजेंद्र 1985 में पहली बार विधायक बन कर विधानसभा पहुंचे।
1990 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को पहली बार अपना समर्थन दिया और भाजपा के टिकट पर शंभू तिवारी विधायक बने। इसके बाद वर्ष 1993 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस ने राज परिवार के कुंअर घनश्याम सिंह को मैदान में उतारा। जनता ने उन्हें विधायक बना दिया। 1998 में कांग्रेस से बगावत कर राजेंद्र भारती ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीते। 2003 में कांग्रेस ने फिर से घनश्याम सिंह को मौका दिया। इस साल भाजपा की लहर होने के बाद भी जनता ने घनश्याम सिंह को चुनकर विधानसभा भेजा। वर्ष 2008 के चुनाव परिसीमन के बाद हुए। इस चुनाव में डबरा सीट छोड़कर डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दतिया से चुनाव लड़ा। वे भाजपा के टिकट पर यहां से विधायक चुने गए। 2013 और 2018 के चुनाव में भी जनता ने उन्हें विधायक बनाया। वे लगातार तीन बार से दतिया के विधायक हैं।
स्थानीय विधायक और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के प्रदर्शन को लेकर स्थानीय मतदाता ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा जी ने दतिया को नई पहचान दिलाई है। उनके कार्यकाल में जितना विकास हुआ है, उतना विकास किसी के कार्यकाल में नहीं हुआ है। यहां की जनता नरोत्तम मिश्रा जी के साथ है और आने वाले समय में उन्हीं को जीत दिलाएगी। विकास को लेकर एक स्थानीय युवा ने खुले दिल से नरोत्तम मिश्रा का समर्थन करते हुए कहा कि नरोत्तम मिश्रा ने दतिया के विकास को नई दिशा दी है।
एक मतदाता ने कहा कि विकास तो हुआ ही है लेकिन किसानों और बेरोजगारी पर विधायक जी को थोड़ा ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही यहां शैक्षणिक सुविधाओं को भी बढ़ाने की आवश्कता है।