रायपुर: CM Vishnu Deo Sai प्रदेश में अब साय सरकार का कार्यकाल शुरू हो चुका है। प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री के तौर पर विष्णुदेव साय के शपथ ग्रहण में देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक ने शिरकत की। अब सरकार पर नजर है कि वो कैसी कैबिनेट बनाते हैं, किस फैसले को सबसे पहले लागू करते हैं, किन वायदों को प्राथमिकता से पूरा करते हैं। साय के साथ पूरी पार्टी है, केंद्रीय नेतृत्व है लेकिन उनके सामने कुछ बड़े सवाल और चुनौतियां भी हैं।
CM Vishnu Deo Sai 13 दिसंबर 2023 ये तारीख इतिहास में दर्ज हो गईृ। छत्तीसगढ में एक नई सरकार का उदय हुआ। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान पर, प्रदेश का छटवां शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिसमें छत्तीसढ़ के चौथे मुख्यमंत्री के तौर पर विष्णुदेव साय ने शपथ ग्रहण की। फिर अरुण साव और विजय शर्मा ने प्रदेश के डिप्टी cm के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ की। इसी के साथ प्रदेश में ‘साय सरकार’ के कार्यकाल की विधिवत शुरूआत हो चुकी है। शपथ ग्रहण समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय मंत्री अमित शाह,नितिन गडकरी,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ,समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। समारोह के फौरन बाद CM विष्णुदेव साय और दोनों डिप्टी CM मंत्रालय पहुंचे, विधिवत पदभार ग्रहण किया। CM विष्णुदेव साय ने कहा कि उनकी प्राथमिकता में मोदी की गारंटी को पूरा करना है।
वैसे, कार्यभार ग्रहण के साथ ही विष्णुदेव साय के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां हैं एक मुख्यमंत्री के तौर पर विष्णुदेव साय सामने कुछ बड़ी चुनौतियां हैं कि सबसे पहली चुनौती है चुनाव में किए वादों को समय पर पूरा करना 2- संतुलित मंत्रिमंडल बनाना 3- पार्टी के दिग्गजों के बीच शक्ति संतुलन बनाना, 4- चंद महीनों बाद होने वाले 2024 आम चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना, 5- हाईकमान के निर्णय को सही साबित करना। पार्टी नेता मानते हैं कि साय और उनकी टीम इस सभी चुनौतियों को बेहतर तरीके से पूरा करेगी।
इधर, कांग्रेस मानती है कि सत्ता में आते ही चुनाव में किए वादों को पूरा करना, जनता के भरोसे पर खरा उतरना सबसे बड़ा चैलेंज होता है। वो विपक्ष के नाते इस पर नजर रखेंगे। शपथ ग्रहण के साथ ही प्रदेश में नई सरकार के, नए दौर की शुरूआत हो चुकी है। कहते हैं कि पहला इम्प्रेशन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस नाते मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी टीम के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है उनपर किए गए भरोसे पर खरा उतरना, ये भी जरूरी है कि सरकार की प्राथमिकता में वो योजना या फैसले हों जिनकी अपेक्षा प्रदेश की जनता ने उनसे लगा रखी है।