बरुण सखाजी, राजनीतिक विश्लेषक
Congress Will Cut 45 Percent MLA Ticket कांग्रेस आगामी चुनावों में आधे से ज्यादा टिकट 50 साल से कम उम्र वालों को देगी। यह बात उदयपुर संकल्प शिविर में संगठन के लिए की गई थी और चुनावी टिकटों के लिए भी ऐलान हो गया है। पार्टी ने रायपुर अधिवेशन में इस घोषणा से बहुतों के माथे पर बल ला दिया है। घोषणा के मुताबिक आधे से ज्यादा टिकटें 50 वर्ष से कम आयु वालों को दी जाएंगी। ऐसे में छत्तीसगढ़ में क्या सिनेरियो उभर रहा है, आज का विश्लेषण इसी पर।
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Congress Will Cut 45 Percent MLA Ticket वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 71 विधायक हैं। 2018 में पार्टी ने 90 में से 68 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की थी। बाद में 5 उपचुनाव हुए, जिनमें सभी कांग्रेस ने जीते। इनमें से 2 उपचुनाव कांग्रेस की ही सीटों पर हुए, जबकि 1 भाजपा की और 2 जोगी कांग्रेस की सीटों पर हुए थे। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी लगभग साढ़े 44 फीसद वोटों के साथ राज कर रही है।
अभी 33 साल से 86 साल तक के नेताओं का कॉम्बिनेशन
कांग्रेस की यह ताकत यूं ही नहीं बनी। इसमें कांग्रेस नेताओं का जमीनी विश्वास शामिल है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को जो 44 फीसद वोट मिले हैं वह किसी एक नेता के कारण नहीं मिले। इसमें सबसे कम उम्र के भिलाई नगर के 33 वर्षीय विधायक देंवेद्र यादव से लेकर 86 साल के 7 बार विधायक रह चुके वरिष्ठत्तम कांग्रेस नेता पत्थलगांव के रामपुकार सिंह जैसे अनुभवी विधायकों का योगदान है। छत्तीसगढ़ की इस मजबूत कांग्रेस का आधार सिर्फ क्षेत्रीय अस्मिता की सियासत नहीं है। न ही यह किसी वाद-विवाद में रंगी मार्केटेड, प्रोजेक्टेड छवि की बदौलत है। यह जमीनी विश्वास है, जिसमें उम्र, अनुभव, कनेक्ट, लोकसंपर्क का गुड मिक्स शामिल है। इस गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ में इन सबकी भूमिका है।
कांग्रेस में अभी 50 के अंदर वाले सिर्फ 24 विधायक
अब लेकिन आधे से ज्यादा सीटों पर 50 वर्ष से कम आयु वालों को टिकट दी जाएगी तो माना जाना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 90 में से 45 सीटों पर ऐसे लोगों को टिकट देगी। इस स्थिति में कांग्रेस के वर्तमान 71 में से 24 ही विधायक इस योग्यता पर खरे उतरते हैं।
कांग्रेस 47 विधायकों का टिकट खतरे में
इस हिसाब से देखें तो कांग्रेस छत्तीसगढ़ में 71 विधायकों में से 47 के टिकटों पर तलवार लटक रही है। आयु वाले क्राइटेरिया के हिसाब से इन 47 में से सिर्फ 23 पर ही टिकटों में समझौता होगा। बाकी के 24 को पीछे हटकर 50 साल से कम उम्र वाले युवाओं के लिए रास्ता देना होगा।
अंडर 40 वाले पांचों मजे में
कांग्रेस के देवेंद्र यादव, चन्नी साहू, शकुंतला साहू समेत 5 ऐसे विधायक हैं, जिन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं। वे आयु वाले गणित से 2023 से लेकर 2033 तक के चुनाव के लिए योग्य माने जाएंगे। इस आयु वर्ग में से एक भी मंत्री नहीं है।
अंडर 50 वाले 19 विधायकों में भी कई सशंकित
50 वर्ष या इससे कम और 40 वर्ष से अधिक आयु वाले कांग्रेस विधायकों की संख्या 19 है। इनकी आयु तो 50 के अंदर है, लेकिन अनेकों चुनावों तक 51वां शुरू कर चुके होंगे। इन 19 में से सिर्फ 2 गुरु रुद्र और उमेश पटेल ही मंत्री हैं।
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50 से 60 के बीच वालों की संख्या सर्वाधिक
कांग्रेस के 71 विधायकों में से 50 से ऊपर और 60 से कम आयु वाले विधायकों की संख्या 22 है। इनमें से 4 जयसिंह अग्रवाल, कवासी लखमा, अनिला भेंडिया और शिव डेहरिया मंत्री हैं। मंत्री होने के नाते कंफर्ट हो सकते हैं, लेकिन आयु वाले क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठते।
60 से 70 के बीच वालों की संख्या 20
कांग्रेस के बुजुर्गवार विधायकों में शुमार ऐसे विधायकों की संख्या 20 है, जिनकी आयु 60 से 70 के बीच की है। इनमें से भी 3 रविंद्र चौबे, प्रेमसाय सिंह टेकाम और मोहम्मद अकबर मंत्री हैं जबकि 62 वर्षीय बघेल मुख्यमंत्री हैं। यह सब भी इस क्राइटेरिया में नहीं आते।
4 विधायक 70 पार वाले बुजुर्गवार
कांग्रेस के 71 में से 4 विधायक ऐसे हैं जिनकी आयु 70 से अधिक और 80 से कम है। इनमें से टीएस सिंहदेव 71 वर्ष और ताम्रध्वज साहू 74 वर्ष मंत्री हैं। सिंहदेव चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। हालांकि दोनों ही उम्र वाले क्राइटेरिया में नहीं आते। सत्यनारायण शर्मा और खेलसाय सिंह इस श्रेणी में वरिष्ठ विधायक हैं।
80 पार वाले इकलौते रामपुकार सिंह
कांग्रेस 86 वर्षीय रामपुकार सिंह इकलौते ऐसे नेता हैं, जिनकी आयु 80 के ऊपर है। वे 7वीं बार विधायक बने हैं। 2013 में उनकी बेटी आरती रामपुकार सिंह पत्थलगांव से चुनाव हार गई थी। कांग्रेस के हाल में बनाए गए क्राइटेरिया में यह भी नहीं बैठते।
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50 के अंदर वाले सिर्फ 2 मंत्री
कांग्रेस की सरकार में अभी सिर्फ 2 ही मंत्री उमेश पटेल 42 और गुरु रुद्रकुमार 47 ही ऐसे हैं जिनकी आयु 50 से कम है। उम्र के मामले में सबसे वरिष्ठ मंत्री ताम्रध्वज साहू हैं, जिनकी आयु 74 साल है। सरकार के मुखिया की आयु 62 साल है। सरकार में नंबर-2 की हैसियत वाले मंत्री सिंहदेव की आयु 71 साल है। यानि मंत्रियों व मुख्यमंत्री को भी देखें तो कांग्रेस के अंडर-50 वाले क्राइटेरिया में अहिवारा से गुरु रुद्रकुमार और खरसिया से उमेश पटेल ही इसमें फिट हैं।
क्या व्यवहारिक है यह फॉर्मूला
वैसे तो राजनीति लंगड़ी होती है। दौर आता है जब युवा-युवा कहने-करने लगती है। फिर दौर आता है अनुभव का कॉम्बिनेशन बनाना जरूरी है। फिर इसमें कभी परसेंटेज के फॉर्मूले आते हैं कभी क्षेत्री के तो कभी जातियों के। ऐसे ही एक फॉर्मूला एज का भी है। यह पूरी तरह से कोई भी दल नहीं लागू कर पाता। क्योंकि ऐसा करने से राजनीति मैकेनिकल होने लगती है। राजनीति में हर कोई चुनाव जीतने आया होता है। कोई ही विरला होता है जो सेवा करने आया होता है। चुनाव से मिला पावर ही असल में पावर समझने वाले भारतीय दलों में यह रोग है। इसलिए कांग्रेस का यह फॉर्मूला जब लागू होगा तो बखेड़ा खड़ा होना कोई बड़ी बात नहीं होगी। कांग्रेस ने उदयपुर संकल्प शिविर में भी एक व्यक्ति एक पद, नेतापुत्रों को संगठन में जिम्मेदारी नहीं जैसी बातें कही थी, लेकिन यह बहुत कम फॉलो की जा सकी हैं। इसलिए अब रायपुर अधिवेशन से निकले इस ने फॉर्मूले का क्या होगा, हम 2023 के चुनावों के ऐलान के बाद देखेंगे।