दंतेवाड़ा: भारतीय जनता पार्टी ने छग विधानसभा चुनाव 2023 के लिए अपनी दूसरी सूची सोमवार को जारी कर दी है। इस सूची में 64 विस क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के नाम सामने आये है। इससे पहले अगस्त के मध्य में छग बीजेपी ने 21 विधानसभा उम्मीदवारों के नाम सामने रखे थे। इस तरह भाजपा अबतक 90 में से 85 सीटों पर नाम तय कर चुकी है। बेमेतरा, कसडोल, अम्बिकापुर, बेलतरा और पंडरिया पांच ऐसी सीट है जिनपर भाजपा उम्मीदवारों के नामों का खुलासा नहीं हो सका है।
वही लिस्ट के जारी होते ही कई सीटों पर कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियों की नाराजगी भी सामने आई है। सबसे ज्यादा आक्रोश राजधानी रायपुर से लगे धरसींवा विधानसभा में देखा जा रहा है। यहाँ छत्तीसगढ़िया कलाकार और गायक अनुज शर्मा को टिकट दिया गया है। अनुज शर्मा के खिलाफ नाराजगी लिस्ट के सामने आने से पहले ही नजर आने लगी थी जब बड़ी संख्या में कार्यकर्ता बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुँच गये थे और जमकर नारबाजी हुई थी। इसी तरह कुछ अन्य सीटों पर भी स्थानीय कार्यकर्ता टिकट के विरोध में अपना सूर बुलंद कर रहे है।
बहरहाल हम बात कर रहे है बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा सीट की। बीजेपी ने यहाँ से चैतराम अटामी को मौक़ा दिया है। चैतराम फ़िलहाल दंतेवाड़ा जिले में भाजपा इकाई के जिलाध्यक्ष है। दावेदारों में इस बार उनका नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था। वही एक अन्य दावेदार भी इस सीट से टिकट की उम्मीद में थी। वह थी पूर्व दिवंगत विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी। उम्मीद थी कि भाजपा भीमा मंडावी के शहादत को ध्यान में रखते हुए इस बार उनके परिवार से किसी को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार सकती है। हालाँकि ओजस्वी मंडावी को खाली हुई दंतेवाड़ा सीट पर 2019 में हुए उपचुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन इस उप चुनाव में उन्हें कांग्रेस की देवती कर्मा के हाथों 11 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
इस पूरे टिकट वितरण के बाद अब दिवंगत पूर्व विधायक भीमा मंडावी की बेटी दीपा मंडावी ने एक वीडियों शेयर किया है। उन्होंने इस वीडियों में परिवार को टिकट नहीं मिलने पर अपनी निराशा जाहिर की है। दीपा ने वीडियों में भाजपा के लिए अपने पिता के योगदान को भी रेखांकित किया है। देखें यह पूरा वीडियों।
भीमा मंडावी बस्तर संभाग में भाजपा क कद्दावर आदिवासी नेताओं में शुमार थे। मंडावी दंतेवाड़ा जिले के गदापाल निवासी थे और 2008 में पहली बार विधायक चुने गए थे। हालांकि इसके बाद वे 2013 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। लेकिन 2018 में पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया। उन्होंने 2002 में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। भीमा पेशे से कृषक थे, उनके परिवार में माता- पिता और पत्नी ओजस्वी मंडावी के अलावा एक पुत्र खिलेंद्र और पुत्री दीपा मंडावी है।
2018 के चुनाव में जहां कांग्रेस एकतरफा जीती थी वहीं भीमा मंडावी बस्तर संभाग से अकेले विधायक चुने गए थे। भीमा की छवि कट्टर बतौर हिंदूवादी नेता रही। वे विश्व हिंदू परिषद से भी जुड़े रहे और भाजपा के आदिवासी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी थे।
2019 में जब देश भर में लोकसभा चुनाव को लेकर गहमागहमी थी उसी दौरान भीमा मंडावी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। उनके वाहन को दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा से दो किलोमीटर पहले एक भीषण लैंडमाइण्ड विस्फोट कर उड़ा दिया गया था। इस हमले में तत्कालीन विधायक भीमा मंडावी के अलावा उनके ड्राइवर और तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी।