रायपुर: छत्तीसगढ़ में पहले चरण में जिन 20 सीटों पर वोटिंग हो रहा है। वहां पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थी। बीजेपी को 2 और एक सीट JCCJ के खाते में गई थी। लेकिन पिछली बार पहले चरण की 4 सीट पर नोटा के वोट जीत के अंतर से ज्यादा थी। ऐसे में मिशन 2023 की जंग जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों को फिर नोटा से कड़ी चुनौती मिलेगी।
नोटा यानी उपयुक्त में से कोई नहीं। वोटर्स का मन अगर किसी उम्मीदवार को वोट नहीं करना चाहता। लेकिन अपने मताधिकार का प्रयोग करना है तो वो नोटा में वोट डाल सकता है। छग में पहले चरण में जिन 20 सीटों पर वोट डाले गए है उनमें 4 सीटें नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव और खैरागढ़ ऐसी है। जहां पिछली बार नोटा फैक्टर हावी रहा।
बात करें नारायणपुर की तो कांग्रेस के चंदन कश्यप बीजेपी के केदार कश्यप से 2 हजार 647 वोट से जीते। जबकि इस सीट पर नोटा को 6 हजार 858 वोट मिले, जबकि दंतेवाड़ा सीट पर बीजेपी के भीमा मंडावी ने कांग्रेस की देवती कर्मा को 2172 वोटों से हराया। जीत हार का प्रतिशत 2.1 रहा जबकि नोटा को यहां 5.3 फीसदी वोट मिले। इसी तरह कोंडागांव में भी कांग्रेस के मोहन मरकाम ने बीजेपी की लता उसेंडी को 1796 वोट से हराया जबकि इस सीट पर नोटा को 5146 वोट मिले।
पहले चरण की 20 सीटों में खैरागढ़ जीत-हार की सबसे कम अंतर वाली सीट है। यहां जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह 870 वोट से जीते। जबकि नोटा को इस सीट पर 3068 मिले जो जीत-हार के अंतर से लगभग तीन गुना अधिक है। बस्तर संभाग की 12 और दुर्ग संभाग की 8 सीटों मे फिलहाल कांग्रेस के पास बढ़त है। नक्सल प्रभावित इस इलाके में जनता का मूड समझना इतना आसान नहीं है। ये भी तय है कि इन 20 सीटों पर जीत हासिल किए बगैर छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाभी हासिल करना बेहद मुश्किल होगा।