धर्मसभा में बोले विहिप उपाध्यक्ष, बंटवारा मंजूर नहीं, हमें पूरी जमीन चाहिए | VHP vice-president said in dharma sabha; no need of division, we need full ground

धर्मसभा में बोले विहिप उपाध्यक्ष, बंटवारा मंजूर नहीं, हमें पूरी जमीन चाहिए

धर्मसभा में बोले विहिप उपाध्यक्ष, बंटवारा मंजूर नहीं, हमें पूरी जमीन चाहिए

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:58 PM IST
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Published Date: November 25, 2018 12:23 pm IST

अयोध्या/नई दिल्ली। राम मंदिर निर्माण के लिए यहां आयोजित धर्मसभा में विश्व हिंदू परिषद ने करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया। रविवार को राम की नगरी में आयोजित धर्मसभा के लिए सुबह से ही कार्यकर्ताओं और लोगों का तांता लगा रहा। हालांकी प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। धर्मसभा को संबोधित करते हुए निर्मोही अखाड़ा के रामजी दास ने कहा कि राम मंदिर निर्माण की तिथि की घोषणा 2019 के कुंभ के दौरान प्रयागराज में होगी।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के लिए हमें भूमि का बंटवारा मंजूर नहीं। हमें पूरी की पूरी जमीन चाहिए। सुन्नी वक्फ बोर्ड को अपना केस वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब मंदिर मुद्दे पर कोई और सभा नहीं होगी, सीधे निर्माण प्रारंभ होगा। वहीं, रामभद्राचार्य ने कहा कि राममंदिर को लेकर सरकार 11 दिसंबर के बाद ऐलान करेगी। प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया कि धर्मसभा में करीब 75 हजार लोग मौजूद हैं, जबकि करीब  27000 लोगों ने रामलला के दर्शन किए।

उधर प्रगतिशील मोर्चा के प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो ऐसे में हमें या तो फैसले का इंतजार करना चाहिए या फिर आम सहमति बनानी चाहिए। सरकार के पास पर्याप्त जगह है। राम मंदिर सरयू नदी के किनारे कहीं भी बनाया जा सकता है। विवादित भूमि पर मंदिर की कोई बात नहीं होनी चाहिए।

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धर्मसभा के दौरान एबीवीपी और विहिप कार्यकर्ता भी शिवसैनिकों की तर्ज पर ‘पहले मंदिर फिर सरकार, हर हिंदू की यही पुकार’ के नारे लगाते देखे गए। बता दें कि शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्घव ठाकरे ने सभा में अपने संबोधन के दौरान कहा था कि मैं चार साल से सो रहे कुंभकरण को जगाने आया हूं। अब नारा नहीं, मंदिर निर्माण की तारीख बताएं। उन्होंने कहा था कि अगर मोदी सरकार मंदिर पर संसद में अध्यादेश लाती है तो शिवसेना उसका समर्थन करेगी।

 
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