नई दिल्लीः wo char log kaun hai? अरे! यह क्या कर रही हो इतने छोटे कपडे वो भी इस छोटे से शहर में “चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे”।बेटा यह तुम क्या कर रहे हो? अपनी बिरादरी से बाहर शादी,हे भगवान ! “चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे”। अरे! कुछ तो सोचो कुछ बोलने या करने से पहले हम यहां अकेले नहीं हैं और भी हैं “चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे।” ये बातें अक्सर आप अपने घर पर सुनते होंगे। बड़े बुजुर्ग किसी बात को टोकने के लिए इसी बात का सहारा लेते हैं कि ’चार लोग क्या कहेंगे?’ लेकिन आज तक इस बात का पता नहीं चल पाया कि वो चार लोग आखिर हैं कौन। शायद आपको भी इस सवाल का जवाब न मिला हो। चार लोगों का पता इसलिए भी नहीं चल पाया क्यों कि ये सवाल ठीक उसी प्रकार है, जैसे ये आज तक पता नहीं चल पाया कि पहले मुर्गी आई या अंडा? लेकिन वैज्ञानिकों ने आखिर पता लगा ही लिया है कि पहले मुर्गी आई या अंडा? तो चलिए आज हम आपको बता ही देते हैं कि कौन हैं वो चार लोग? जिनको खुद से ज्यादा दूसरों की पड़ी रहती है। ये वही देखते रहते हैं कि दूसरे क्या कर रहे हैं।
wo char log kaun hai? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लिया, जहां लोग अपनी बात खुलकर रखते हैं। हमने सोशल मीडिया प्लेटफार्म कोरा पर जब ये सर्च किया कि वो चार लोग आखिर हैं कौन? तो ऐसे ऐसे मजेदार जवाब आए जिसे पढ़कर आप सुनकर हंस हंसकर लोट हो जाएंगे। तो चलिए जानते हैं क्या कहते हैं लोग उन चार लोगों के बारे में जिनकी हमारी जिंदगी में दखल देने का बड़ा शौक है।
इस सवाल के जवाब में अरुण वर्मा कहते हैं कि ’लोग क्या कहेंगे’ ये प्रश्न भी इस से मिलता जुलता है, कि ’चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे’ आपने किशोर कुमार का ये गीत तो सुना ही होगा। कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना, छोडो बेकार की बातों में,कहीं बीत न जाये रैना॥ अगर हम यही सोचते रहेंगे कि लोग क्या कहेंगे तो इस दुनिया में रहना ही मुश्किल हो जायेगा, लोगो को अपना काम करने दीजिये, और आप अपना कीजिये। बेकार की चिन्ता न करें। लोगों को तो आपकी खुशी से भी जलन होती है और आपके गम से भी।
वहीं, दीक्षा ओझाा कहतीं हैं कि चार लोगों से अभिप्राय “समाज में रह रहें अन्य जन” से है, जोकि भिन्न मानसिकता से संबंध रखते हैं और कहीं न कहीं सबके समझने-सोचने के मानक अलग-अलग होने के कारण मनुष्य कई बार संकोचित हो जाता है कि कहीं उसके या उसके परिजन द्वारा किए जा रहे किसी कार्य को कोई ग़लत न ठहरा दे या उसकी कुचीष्टा न करे। मनुष्य का एक सामाजिक जानवर होने के कारण यह व्यहवार भी स्वाभाविक है। पर, जीवन की एक कटु सच्चाई यह भी है कि सिर्फ़ कुछ कहने-सुनने से कार्य नहीं चलता। जीवन में अन्य भी बड़े आवश्यक कार्य हैं, किसी काम(जो ग़लत नहीं है) को सिर्फ़ इसलिए रोक देना क्योंकि कोई उसपे कुछ ग़लत टिप्पणी कर देगा मूर्खता से अधिक कुछ नहीं है। क्योंकि, आद्य से अधिक बार लोग ‘कल्याण’ से कम और ‘मनोरंजन या ईर्ष्या’ के भाव से अधिक कुच्चीष्टा करतें है। इसलिए, जो करना है कीजिये और सिर्फ इसलिए न रुकें कि चार लोग कुछ कहेंगे। ग़लत होगा तो आवश्यक रूप से सब कहेंगे परंतु अगर नहीं है, तो आप अपनी धुन गुनगुनाइए और दूसरों को अपनी गुनगुनाने दीजिये!
विक्रम सिंह चौहान कहते हैं कि इन चार लोगो में से पहले है फुफा जी जिनकी उम्र 50 पार कर चुकी है। दूसरे है घर के बगल में रहने वाले शर्मा अंकल जिनका जिक्र हमेशा जोक्स में आप को मिल जाता है और अगले है वो अंकल जी जिनकी लड़की को आप हमेशा लाइन मारा करते थे। और चौथे है उस लड़की का बाप जिसने बचपन से मन बना रखा है कि,, वो अपनी लड़की की शादी तो आपसे ही करेगा। इन्हीं चार लोगो से हमेशा बच के रहने के लिए कहा जाता है क्योंकि अगर इनमे से किसी ने आप के हाथ में पाउच देख लिया न तो वो भले ही हाजमोला ही हो लेकिन उसे राजश्री पानमसाला ही बना कर लोगों तक पहुंचाएंगे।