टोक्यो। Employees Leave Hike : जापान में एक नई पहल शुरू की है। जिसके बाद टोक्यो में कर्मचारियों को सप्ताह में तीन दिन की छुट्टी देने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि वे अपने पारिवारिक जीवन और कामकाजी जीवन के बीच बेहतर संतुलन बना सकें। बता दें कि जापान, जो पहले से ही दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल है, अब अपने देश में बढ़ती जन्म दर की समस्या से जूझ रहा है। पिछले कुछ दशकों से जापान में बच्चों का जन्म दर लगातार गिरता जा रहा है, और इस स्थिति से निपटने के लिए जापान की सरकार ने एक नई पहल शुरू की है।
बता दें कि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि लोग अपने बच्चों के पालन-पोषण के चलते बीच में ही अपना करियर छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। लोगों के बच्चे पैदा न करने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण माना जाता है। बीते कुछ सालों की नीतियों की वजह से देश का प्रजनन दर बेहद खराब हुआ है। इसमें सुधार लाने की लिए स्थानीय प्रशासन कई नए तरीके अपनाते रहा है। टोक्यो गवर्नर युरिको कोइके ने ऐलान किया कि अगले साल अप्रैल महीने से कर्मचारियों के पास ऑप्शन होगा कि वे सप्ताह में तीन दिन ऑफ ले सकेंगे।
पिछले साल, जापान में मात्र 727,277 जन्म दर्ज किए गए। बताया जाता है कि यह कमी देश की ओवरटाइम वर्क कल्चर का नतीजा है, जो महिलाओं को करियर और परिवार के बीच चुनने के लिए मजबूर करती है। वर्ल्ड बैंक के डेटा के मुताबिक, जापान में लिंग रोजगार विषमता अन्य सम्पन्न राष्ट्रों से अधिक है, जहां महिलाओं की भागीदारी 55% और पुरुषों की 72% है।
चार दिन के वर्कवीक की रूपरेखा को 2022 में 4 डे-वीक ग्लोबल द्वारा वैश्विक स्तर पर आजमाया गया था। इसमें शामिल कर्मचारियों के 90% से अधिक ने इस शेड्यूल को बनाये रखने की इच्छा जाहिर की। अन्य एशियाई राष्ट्र, जैसे सिंगापुर ने भी लचीले काम के घंटे देने पर जोर दिया है।
यह पहल जापान में कामकाजी और पारिवारिक जीवन के बीच बेहतर संतुलन स्थापित करने के लिए शुरू की जा रही है, ताकि कर्मचारी अपने परिवार के साथ अधिक समय बिता सकें और बच्चे पैदा करने की प्रेरणा मिल सके।
यह नीति अगले साल अप्रैल से लागू की जाएगी, जब कर्मचारियों को सप्ताह में तीन दिन छुट्टी लेने का विकल्प मिलेगा।
इसका मुख्य उद्देश्य जापान में गिरती जन्म दर को सुधारना और कामकाजी जीवन के साथ परिवारिक जीवन का बेहतर संतुलन बनाना है।
यह नीति मुख्य रूप से टोक्यो में कर्मचारियों के लिए लागू होगी, लेकिन भविष्य में इसे पूरे जापान में लागू करने की योजना हो सकती है।
यह पहल जापान की जनसंख्या संकट को सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके प्रभाव को देखते हुए भविष्य में अन्य उपाय भी अपनाए जा सकते हैं।