Sister Became Wife of Brother: भाई के साथ सात फेरे लेकर पत्नी बन जाती है बहन, पूरा परिवार और समाज देता है बच्चे पैदा करने की अनुमति

Sister Became Wife of Brother: भाई के साथ सात फेरे लेकर पत्नी बन जाती है बहन, पूरा परिवार और समाज देता है बच्चे पैदा करने की अनुमति

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  • Publish Date - September 26, 2024 / 01:31 PM IST,
    Updated On - September 26, 2024 / 01:31 PM IST

रायपुर: Sister Became Wife of Brother भारत दुनियाभर में परंपराओं और सभ्यताओं का देश कहा जाता है। यहां हर कदम-कदम पर नई परंपरा और मान्यता देखने को मिलती है। ऐसी परंपराएं शादियों और बच्चे के जन्म के समय देखने को मिलती है। ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत में शादियों की 100 से अधिक परंपराएं हैं, जो अलग-अलग राज्यों, क्षेत्र और समुदाय में प्रचलित है। ऐसी ही परंपरा छत्तीसगढ़ में बेहद मशहूर है, जिसमें भाई-बहनों की शादी कराई जाती है। हालांकि शिक्षा के विकास के साथ ही अब ये परंपरा लगभग विलुप्त होती जा रही है और आजकल बहुत ही कम देखने को मिलती है।

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Sister Became Wife of Brother दरअसल हम बात कर रहे हैं गोंड आदिवासियों की परंपरा के बारे में, जिसमें मामा की बेटी या बेटा, बुआ की की बेटी या बेटा के साथ शादी कर सकते हैं। समाज ने इसकी अनुमति भी दे दी है। रिश्तों की बात करें तो पहले ये भाई-बहन होते हैं, लेकिन अगर शादी हो जाए तो वो पति-पत्नी के साथ पूरी उम्र गुजारते हैं। छत्तीसगढ़ की पारंपारिक लोक​गीतों में भी इस परंपरा की झलक देखने को मिलती है।

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हालांकि आज कल ये परंपरा लगभग समाप्त हो चुकी है और बहुत ही कम ऐसे मामले सामने आते हैं। शिक्षा के विकास के साथ ही लोगों में जागरूकता आई और अब भाई-बहन की शादी कम ही होती है। अपने ही भाई-बहन में शादी के कई तरह के नुकसान भी देखने को मिलते हैं। जेनेटिक बीमारियां इस वजह से तेजी से बढ़ती है। साथ ही आने वाली पीढ़ियों पर भी इसका दुष्परिणाम देखने को मिलता है। इन सब ज्ञान के बाद अब इस जनजाति के युवा इस परंपरा से पीछे हट रहे हैं। कई लोग अपने पेरेंट्स से बगावत कर इस परंपरा को दरकिनार कर रहे हैं।

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गोंड के अलावा धुरवा जनजाती के लोग भी इस परंपरा को मानते थे। धुरवा जनजाति आज के समय में छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा के कुछ इलाकों में रहते हैं। इनकी बोली पारजी होती है लेकिन ये ओड़िया और छत्तीसगढ़ी भी बखूबी बोल लेते हैं। इसके अलावा अब इस जनजाति के युवा हिंदी भी अच्छे से बोलने लगे हैं। छत्तीसगढ़ के धुरवा जनजाति के लोगों को अक्सर गोंड जनजाति में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन ओडिशा में इन्हें अलग जनजाति का दर्जा दिया जाता है। बात परम्पराओं की करें तो धुरवा जनजाति में विवाह नृत्य का काफी महत्व है। इसमें वर-वधु दोनों की तरफ से नृत्य किया जाता है। विवाह नृत्य तेल-हल्दी चढ़ाने की रस्म से प्रारंभ कर पूरे विवाह में किया जाता है। इसमें पुरूष और स्त्रियां समूह में गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं।

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