Skull of Serial Killer Diogo Alves: लिस्बन। आज हम आपको एक ऐसी घटना बता रहे हैं जिसने न सिर्फ पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन को बल्कि पूरी दुनिया के लिए खौफनाक कहानी से कम नहीं थी। दरअससल, आज भी एक शख्स का सिर पिछले 181 साल से भी ज्यादा समय से जार में सुरक्षित रखा हुआ है। ये शख्स उन खौफनाक सीरियल किलर्स में से एक था, जिसने धनवान बनने की चाह में न जाने कितने मासूम लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी।
इस सीरियल किलर को पुर्तगाल में फांसी दी गई थी और इसके बाद उस देश में किसी को भी फांसी की सजा कभी नहीं दी गई। सीरियल किलर का नाम है- डियोगो एल्विस (Diogo Alves)। नौकरी की तलाश कर रहे डियोगो के मन में पैसा कमाने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उसने हत्या जैसे अपराध करने पर उतारू हो गया। लिस्बन के आउटर में 213 फुट ऊंचा एक पुल है, इस पुल का इस्तेमाल खेती-बाड़ी करने वाले किसान ज्यादा किया करते हैं, वे लोग आउटर एरिया से शहर आते हैं। वहां फल-सब्जियां बेचकर शाम को इसी पुल से वापस घर लौट जाते हैं।
डियोगो ने एक प्लान बनाया कि जो सबसे अंतिम किसान अकेले शाम के समय वहां से जाएगा, वह उसी को अपना निशाना बनाएगा, ताकि पकड़े जाने का खतरा न हो। अक्सर वह अकेले जा रहे किसान पर हमला करके सारे पैसे लूटकर किसान को पुल से धक्का देकर नीचे फेंक देता। उसे यकीन था कि 213 फुट की ऊंचाई से गिरने के बाद किसान की मौत होना तय है। वह रोज लूटपाट की घटना को अंजाम नहीं देता, लूट में उसे पैसा ज्यादा मिल जाता तो वह उन पैसों से कुछ दिन अपना खर्चा चलाता और लूट की घटना को कुछ समय के लिए विराम लगा देता।
एक महीना गुजरा तो इलाके में बात फैलनी शुरू हो गई, तब करीब 25 से 30 किसान गायब हो चुके थे। पहले तो पुलिस ने सोचा कि शायद किसानों ने घाटा होने के चलते खुदकुशी कर ली होगी, लेकिन इसी बीच पुलिस के होश तब उड़े जब उन्हें पता चला कि पुल के नीचे से गुजरने वाले राहगीरों ने कुछ लोगों की लाश वहां देखी है। लाशों की पहचान की गई तो पता चला कि सभी मरे हुए लोग किसान हैं। पोस्टमार्टम हुआ तो पता चला कि किसी भी किसान पर हमला नहीं हुआ है, उनकी नीचे गिरने से ही मौत हुई है। पुलिस ने एक बार फिर से यही मानना शुरू कर दिया कि गरीबी के चलते इन किसानों ने खुदकुशी की होगी।
किसानों के गायब होने का सिलसिला चलता ही रहा और ये संख्या बढ़कर 50 तक पहुंच गई, पुलिस ने फिर से जांच शुरू की तो मृतकों के घर वालों से भी पूछताछ की गई, पता चला कि काफी किसान ऐसे भी थे जिन्हें पैसों की तंगी नहीं थी। पुलिस ने सबसे पहले उस पुल को कुछ समय के लिए बंद करवाया। पुल बंद होने से किसानों की गुमशुदगी के मामले भी आना बंद हो गए। जांच शुरू हुई तो देखा कि कुछ लाशों में चाकू से वार के निशान भी हैं। पुलिस को तब पता चला कि मामला कत्ल का है।
पुलिस ने गुमनाम कातिल की तलाश शुरू कर दी, बात डियोगो तक भी पहुंची तो उसने सोचा कि कुछ समय तक इस काम को बंद किया जाए। तीन साल तक डियोगो ने कुछ नहीं किया, फिर सरकार ने तय किया कि अब पुल को खोल देना चाहिए। डियोगो ने सोचा कि अब फिर से अपना काम शुरू करना चाहिए, लेकिन सिक्योरिटी टाइट होने के कारण वह ऐसा कुछ भी नहीं कर पा रहा था।
डियोगो ने अब एक गैंग बनाकर लूट की घटना को अंजाम देना शुरू किया। उसने उन लोगों की तलाश की जो गरीब थे और उसने छोटे-मोटे क्राइम से जुड़े लोगों की एक गैंग बना लिया। पहले लिस्बन में ही छोटी-मोटी लूट की और उन पैसों से गैंग के लिए हथियार खरीदे। फिर गैंग के साथ मिलकर डियोगो ने शहर में रहने वाले रईस परिवारों को अपना निशाना बनाना शुरू किया। गैंग के साथ पहले रैकी करता, फिर लूट की घटना को अंजाम देकर उस घर में रहने वाले लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारकर फरार हो जाता। पूरे शहर में अब ये बात भी फैलने लगी कि रईस लोगों के घर लूटपाट के बाद उन्हें मार दिया जा रहा है।
इसी दौरान डियोगो ने एक प्लान के तहत वह डॉक्टर के घर घुसता है, लूट करके डॉक्टर समेत परिवार के 4 लोगों को बेरहमी से मार डालता है। डॉक्टर के कत्ल की बाद आग की तरह फैल गई, पुलिस पर अब ऊपर से प्रेशर आ गया कि आरोपियों को किसी भी हाल में पकड़ना है। पुलिस ने जांच बढ़ाई और उन्हें पता लगा कि कुछ बदमाश हैं जो शहर के बाहर रहते हैं। वे शहर में आते हैं और वारदात को अंजाम देकर वापस लौट जाते हैं।
डॉक्टर के कत्ल की सूचना आधे घंटे के अंदर ही पुलिस को मिल गई थी, जिससे पुलिस ने शहर में नाकाबंदी करके पूरे शहर की पुलिस को एक्टिव कर दिया, ताकि आरोपी शहर से बाहर ना जा सकें। इसी बीच पुलिस ने शहर से बाहर निकलते हुए 4 से 5 संदिग्ध लोगों को पकड़ा, उनसे सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इन सभी में डियोगो एल्विस भी था जो कि पुलिस के सामने बिल्कुल खामोश खड़ा था।
पूछताछ में पता चलता है कि गैंग का सरदार डियोगो ही है, पुलिस को डियोगो पर शक होता है और जब वह किसानों की हत्या की कड़ियां इन हत्याओं के साथ जोड़ती है, तो डियोगो से सख्ती से पूछताछ करते हैं। डियोगो जल्द ही अपना गुनाह कबूल लेता है कि उसी ने किसानों को भी मारा है, उसने बताया है कि 70 के बाद उसे गिनती याद नहीं है कि उसने कितने लोगों को मारा।
पुर्तगाल की हिस्ट्री में इतना बड़ा सीरियल किलर उन्होंने आज तक नहीं देखा था, शहर में बहुत हंगामा हुआ। लोगों में डियोगो को लेकर काफी गुस्सा था, कोर्ट ने आनन-फानन में कार्रवाई शुरू की और फरवरी 1841 में डियोगो को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई। जब इसकी फांसी की तारीख तय हुई तो लिस्बन में कुछ डॉक्टर्स ने कोर्ट और सरकार से मौत के बाद डियोगो के दिमाग को रिसर्च के लिए अपने पास रखने की परमिशन मांगी। उन्होंने दलील दी कि वे इस बात पर रिसर्च करना चाहते हैं कि ऐसे सीरियल किलर्स की सोच कैसी होती है। इसे साइंस की टर्म में फ्रेनोलॉजी कहा जाता है। कोर्ट और सरकार ने डॉक्टर्स को इस बात की अनुमति दे दी। रिसर्च के बाद डियोगो के सिर को यूनिवर्सिटी ऑफ लिस्बन के म्यूजियम में रखा गया है। जो अब तक सुरक्षित है।
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