Second day of marriage they become widows

यहां 18 दिनों तक होती है धूम-धाम से शादी, फिर दूसरे दिन ही उजड़ जाता है सुहाग

Second day of marriage they become widows : यहां 18 दिनों तक होती है धूम-धाम से शादी, फिर दूसरे दिन ही उजड़ जाता है सुहाग...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : July 27, 2022/3:25 pm IST

Weird Rituals of Marriage : नई दिल्ली। देश-दुनिया में कई अजीबो-गरीब परम्पराएं होती हैं। ये परम्पराएं सदियों से ऐसे ही चली आ रही है। ऐसी परम्पराएं जिसे जानकर आप सब दंग रह जाएंगे। कुछ इसी तरह से एक परंपरा भारत के तमिलनाडु में सदियों से चली आ रही है। जहां पर किन्नरों का विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इनका ये आयोजना 18 दिनों तक धूमधाम से चलता है। 18 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव के 17वें दिन किन्नरों की शादी की जाती है, लेकिन अगले ही दिन उनका सुहाग उजड़ जाता है। अगले ही दिन यह विधवा हो जाती है। आखिर ऐसा क्यों? चलिए हम आपको बताते हैं किन्नरों की शादी के पीछे की वजह क्या है….〈 >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<

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शादी के दूसर दिन ही उजड़ जाता है सुहाग

दरअसल, भारत के तमिलनाडु में जब तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दौरान पहली पूर्णमासी से किन्नरों के विवाह उत्सव की शुरुआत हो जाती है। 18 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के 17वें दिन सभी किन्नर अपने भगवान इरवान के साथ धूमधाम से शादी रचाती हैं। इस दौरान वो सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने इष्ट की दुल्हन बनती है। इतना ही नहीं उनके सात फेरे भी होते हैं। इसके बाद इन किन्नरों का जुलूस भी निकाला जाता है, जहां वह अपने भगवान को पूरे शहर में घूमाते हैं। इसके बाद शादी के दूसरे दिन ही उनकी मांग सुनी हो जाती है।

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18 दिन हो जाती है विधवा

Weird Rituals of Marriage : किन्नरों के विवाह उत्सव के आखिरी यानि की 18वें दिन यह किन्नर विधवा हो जाती हैं। दरअसल, जिन भगवान के साथ यह धूमधाम से शादी रचा दी हैं उन्हीं भगवान इरवान की मूर्ति को तोड़कर वह विधवा हो जाती हैं और विधवा की तरह ही विलाप करने लगती है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा तर्क दिया जाता है।

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क्यों है ऐसी परंपरा

दरअसल, इस अजीबो-गरीब परंपरा के पीछे एक बड़ा रहस्य है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इसकी शुरुआत महाभारत के युद्ध के दौरान हुई थी। जब पांडवों ने मां काली की पूजा की और पूजा के बाद एक राजकुमार की बलि देना था। अपनी बलि देने के लिए राजा इरवान तैयार तो हुए, लेकिन उनका कहना था कि वह शादी किए बिना बलि नहीं देंगे। ऐसे में 1 दिन के लिए राजकुमार इरवान से शादी कौन करता। फिर भगवान कृष्ण ने मोहिनी रूप धारण किया और इरवान से विवाह किया। अगले दिन इरवान की बलि दे दी गई और भगवान श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया। तब से हर साल किन्नर भी इस दिन अपने इष्ट देव इरवान से शादी करती हैं और अगले ही दिन विधवा हो जाती हैं।

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