How dangerous can extreme heat be for humans
सिडनी। गर्मी हर साल हजारों लोगों को चुपचाप निगल रही है और यह दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। उत्तरी गोलार्द्ध में अत्यधिक गर्मी को लेकर मीडिया की रिपोर्टिंग स्पष्ट है : रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने मानव अस्तित्व का खतरे में डाल दिया है। एक अनुमान है कि ‘‘ब्रिटेन तीन दशकों में अत्यधिक गर्म हो सकता है’’ जो निश्चित तौर पर 97 प्रतिशत मानवता के लिए चिंता का विषय है जो ब्रिटेन के मुकाबले अधिक गर्मी वाले स्थानों पर रहते हैं।
अच्छी खबर यह है : ब्रिटेन के लोगों को 2050 तक स्वीडन नहीं जाना पड़ेगा। बुरी खबर है : पहले ही जानलेवा गर्मी है जो बदतर होती जा रही है और जल्द ही एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। गर्मी चुपचाप लोगों की जान ले रही है और यह अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के मुकाबले अधिक संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार है। हाल के दशकों में यूरोप में भीषण गर्मी ने हजारों लोगों की जान ली है।विकासशील देशों में मृतकों की संख्या की उचित तरीके से गिनती नहीं की गयी है और संभवत: मृतकों की संख्या कहीं अधिक है। लेकिन कुछ इससे भी बुरा होने वाला है और हमें इसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। अब पृथ्वी पर औसत सतह तापमान सर्वोच्च स्तर पर है।
हाल में पड़ी भीषण गर्मी वैश्विक ताप वृद्धि के निशान छोड़ती है जो बाढ़ या सूखे जैसे जलवायु परिवर्तन के किसी भी असर से कहीं ज्यादा है। चिंता की बात यह है कि जब तक हम शून्य कार्बन उत्सर्जन के स्तर तक नहीं पहुंच जाते, तब तक वैश्विक ताप वृद्धि जारी रहेगी। हमारे शरीर की गर्मी सहने की एक सीमा है। 2010 में एक अनुसंधान से पता चलता है कि 35 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक के ‘वेट-बल्ब’ तापमान से हमारे शरीर के निश्चित तापमान के कारण मनुष्यों के लिए चयापचयी ऊष्मा को खत्म करना असंभव हो जाता है।
वेट-बल्ब तापमान वाष्पीकरण के जरिए ठंडा करने की क्षमता को मापता है। यदि सापेक्षिक आर्द्रता 100 प्रतिशत है तो यह सामान्य तापमान के बराबर हैं वरना यह कम है। 35 डिग्री सेल्सियस अधिकतम वेट-बल्ब तापमान है, ज्यादातर स्थानों पर पृथ्वी ने कभी 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक वेट बल्ब का अनुभव नहीं किया। गर्मी हमें अपनी जीवनशैली बदलने के लिए मजबूर करेगी। उदाहरण के लिए गर्मी के वक्त बाहर की गतिविधियां केवल रात में ही की जा सकेंगी या पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। सिडनी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता गर्मी चेतावनी प्रणाली विकसित कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि हमारे पास जल्द ही शरीर क्रिया विज्ञान पर भीषण गर्मी के असर की साफ तस्वीर होगी। हमें यह भी समझने की आवश्यकता है कि प्रकृति के साथ क्या होगा और हमें वन्यजीव की रक्षा करने के तरीके तलाशने होंगे। इन सबसे बढ़कर हमें जल्द से जल्द शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की आवश्यकता है।