अहमदाबाद, चार जून (भाषा) गुजरात के राजकोट जिले के चाय बेचने वाले एक व्यक्ति को यहां मजिस्ट्रेट अदालत ने न्यायाधीश पर चप्पलें फेंकने के अपराध में 18 महीने की सजा सुनाई। दोषी व्यक्ति ने उसके एक मामले में सुनवाई लंबित होने से नाराज होकर 2012 में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश पर चप्पलें फेंक दी थी।
पढ़ें- ढाई सौ खर्च कर घर मंगाइए कोरोना टेस्ट किट, 15 मिनट …
मिर्जापुर ग्रामीण न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वीए धधल ने बृहस्पतिवार को भवानीदास बावाजी को भादंस की धारा 353 के तहत दोषी ठहराया। पुलिस ने एक बयान में बताया कि बावाजी ने दावा किया था कि वह उसके मामले की सुनवाई लंबित होने से नाराज था और इसलिए ही हताश होकर उसने न्यायाधीश पर चप्पलें फेंक दी।
पढ़ें- पिता बनने वाले हैं अपारशक्ति खुराना.. शेयर की गुड न…
यह देखते हुए कि न्यायाधीश पर चप्पल फेंकने का कृत्य ‘‘ अत्यंत निदंनीय’’ है, मजिस्ट्रेट ने बावाजी को ‘प्रोबेशन’ के तहत राहत देने से इंकार कर दिया। इस प्रावधान के तहत दोषी के अच्छे आचरण को देखते हुए उसे रिहा कर दिया जाता है।
पढ़ें- सीबीएसई स्कूलों में अब छात्र कोडिंग और डाटा साइंस भ…
मजिस्ट्रेट ने राजकोट के रहने वाले बावाजी को 18 माह कैद की सजा सुनाई है, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति देखते हुए उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया।
पढ़ें- कलम के जादूगर गुलजार ने लोगों से की वैक्सीन लगाने क…
मामले के ब्यौरे के अनुसार, आरोपी ने 11 अप्रैल 2012 को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश केएस झावेरी पर अपनी चप्पलें फेंक दी थी, लेकिन वे उन्हें लगी नहीं थी। इसके बाद बावाजी को सोला पुलिस थाने के हवाले कर दिया था, जिसने उसके खिलाफ भादंवि की धारा 186 और 353 के तहत मामला दर्ज किया था।