Marine Fossils park in Manendragarh: मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर। आज भी दुनिया में कई ऐसे रहस्य हैं जिसे अब तक खोजा नहीं गया है। कहीं आसमान में तो कहीं पाताल में कई ऐसे अजीबो गरीब चीजें देखने और सुनने में आती हैं कि जानकर हर कोई दंग रह जाता है। आज ऐसे की एक रहस्मयी साक्ष्य के बारे में बताने वाले हैं जिसे जानकार आप भी चौंक जाएंगे। जी हां आपको जानकर आश्चर्य होगा कि छत्तीसगढ़ पहले समुद्र के नीचे हुआ करता था। क्यों हो गए ना हैरान! चलिए जानते हैं कि आखिर छत्तीसगढ़ का यह कौन सा रहस्य है, जो अब दुनिया के सामने साक्ष्य के रूप में नजर आने वाला है।
आपको बताते चलें कि उत्तरी छत्तीसगढ़ में इसके सबूत आज भी मौजूद हैं। यहां मिले समुद्री जीवों के अवशेष का संरक्षण करने के लिए सरकार एशिया का सबसे बड़ा समुद्री फॉसिल्स पार्क विकसित कर रही है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के वेस्ट चिरमिरी पोड़ी में सिद्ध बाबा पहाड़ की गुफा में जलीय जीव के जीवाश्म के साक्ष्य हैं। आपको जानकर और भी ताज्जूब होगा कि गुफा के अंदर चट्टान पर समुद्री मछली और मगरमच्छ का जीवाश्म है। जानकार बताते हैं कि चिरमिरी में फर्न प्रजाति के जीवाश्म हैं। जनवरी 2014 में पहली बार यह जानकारी सामने आई थी जब स्थानीय युवा गुफा के अंदर सुरंग में गए थे। जीवाश्म की जानकारी इंदौर के रिसर्च सेंटर तक भेजी गई थी।
वहीं जानकारों का कहना है कि करीब 28 करोड़ साल पहले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और अन्य पड़ोसी राज्य गहरे समुद्र का हिस्सा हुआ करते थे। हर तरफ पानी ही पानी था। इस समुद्र के अवशेष आज भी मनेंद्रगढ़ हसदेव नदी के तट पर जीवाश्म के रूप में नजर आते हैं। मनेंद्रगढ़ के गोंडवाना मेरिन फासिल्स पार्क को राष्ट्रीय पहचान मिलने जा रही है। आमाखेरवा के पास हसदेव नदी और हसिया नाला के बीच करीब एक किमी का क्षेत्र समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरा हुआ है। मनेंद्रगढ़ में हसदेव नदी के तटीय क्षेत्र को जीवाश्म पार्क के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया है।
Marine Fossils park in Manendragarh: उत्तरी छत्तीसगढ़ के इस क्षेत्र को जियो हैरिटेज के रूप में विकसित करने का सुझाव राज्य सरकार को दिया गया था, जिसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार इसे गोंडवाना फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित कर रही है। वहीं माना जा रहा है कि यह एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित होगा। बता दें कि देश में मनेंद्रगढ़ की तरह राजहरा झारखंड, दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल, खेमगांव सिक्किम और सुबांसरी अरुणाचल प्रदेश में इतने पुराने समुद्री जीवाश्म मिल चुके हैं।