Gobar se chalne wala tractor: नई दिल्ली। जहां एक तरफ सरकार किसानों के लिए कई योजना लाकर उन्हें राहत दे रही है। तो वहीं दूसरी तरफ किसानों के लिए एक और अच्छी खबर सामने आई है। इससे किसानों की काफी बचत होने जा रही है। खेती में बड़ा खर्च जुताई और बुआई पर आता है। आने वाले समय में यह खर्च घटने के आसार हैं। टैक्टर बनाने वाली कंपनी ने इस दिशा में नया इनोवेशन किया है। जिससे किसानों का टैक्टर में लगने वाले डीजल का पैसा बचेगा।
Gobar se chalne wala tractor: ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी न्यू हॉलैंड ने ऐसा ट्रैक्टर बनाया है जो लिक्विफाइड मिथेन से चलता है। यह गैस गोबर से बनती है। यानी इस तरह के ट्रैक्टरों में महंगा डीजल भरवाने की जरूरत नहीं पड़ती है। गोबर गैस से प्राकृतिक ईंधन पर चलने वाले ये ट्रक परफॉरमेंट के लिहाज से भी दमदार हैं। ये डीजल से चलने वाले ट्रैक्टरों जितना ही पावरफुल हैं। आगे चलकर इससे न केवल कार्बन एमिशन को घटाने में मदद मिल सकती है। अलावा यह किसानों के लिए रोजगार और समृद्धि के रास्ते भी खोल सकता है।
Gobar se chalne wala tractor: कंपनी के मुताबिक, गाय-भैंस के गोबर से आसानी से मिथेन पैदा की जा सकती है। यह सर्कुलर इकनॉमिक मॉडल के लिए रास्ते तैयार करता है। यह ट्रैक्टर 270 हॉर्स पावर का है। डीजल से चलने वाले ट्रैक्टरों जितना ही यह दमदार है। न्यू हॉलैंड ने इन ट्रैक्टरों को ब्रिटिश कंपनी बेनामैन के साथ पार्टनरशिप में बनाया है। लिक्विफाइड मिथेन इस्तेमाल करने वाले ट्रैक्टर की मशीन को ब्रिटिश कंपनी बेनामैन ने विकसित किया है। वह कई सालों से बायोमिथेन प्रोडक्शन पर रिसर्च कर रही है।
Gobar se chalne wala tractor: इसमें गाय-भैंसों के गोबर को ईंधन में बदला जाता है। इस ईंधन को फ्यूजिटिव मिथेन कहते हैं। इसे खेत में ही बायोमिथेन स्टोरेज यूनिट में रखते हैं। इन ट्रैक्टरों में क्रायोजेनिक टैंक फिट है। ये टैंक शून्य से नीचे 162 डिग्री सेंटिग्रेड पर मिथेन को लिक्विड फॉर्म में रखते हैं। इससे ट्रैक्टर को डीजल जितना ही पावर मिलता है। जिससे बस उत्सर्जन कम होता है।
Gobar se chalne wala tractor: टेस्ट में पाया गया है कि ट्रैक्टर सिर्फ एक साल में कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन को 2,500 टन से घटाकर 500 टन पर ले आता है। बेनामैन के सह-संस्थापक क्रिस मैन कहते हैं कि ये दुनिया के पहले टी-7 लिक्विड-फ्यूल्ड ट्रैक्टर हैं। ये ट्रैक्टर कृषि क्षेत्र में क्रांति जाने की कुव्वत रखते हैं। इनके चलते किसानों की खेती की लागत घट सकती है। यह सर्कुलर इकोनॉमी का रास्ता खोलता है। कंपनी इस टेक्नोलॉजी को और विस्तार देने के बारे में भी सोच रही है। इसके जरिये ग्रामीण इलाकों में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के काम में लाया जा सकता है। भविष्य में बायोमिथेन के इस्तेमाल को अन्य वाहनों में भी इस्तेमाल करने की योजना है।