नई दिल्ली: Give birth to kids and earn 60 lakhs भारत, चीन सहित दुनिया के कई देशों के लिए तेजी से बढ़ती जनसंख्या मुसीबत बनी हुई है। लेकिन कई ऐसे देश हैं जो कम जनसंख्या को लेकर चिंतीत है। इनमें दक्षिण कोरिया जैसे देश शामिल हैं, जहां बर्थरेट बेहद कम है। बच्चों के जन्मदर को बढ़ाने के लिए यहां की सरकार ही नहीं कई कंपनियों की ओर से तरह तरह की योजनाएं चलाई जाती है। कंस्ट्रक्शन कंपनी Booyoung Group ने भी हाल ही में ऐसा ऑफर पेश किया है।
Give birth to kids and earn 60 lakhs कंस्ट्रक्शन कंपनी Booyoung Group की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए शानदार योजना शुरू की है। Booyoung Group के अनुसार बच्चे पैदा करने पर उनके कर्मचारियों को कंपनी की ओर से 62.12 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। इतना ही नहीं कंपनी ने इस योजना में उन कर्मचारियों को भी शामिल किया है, जिनके 2021 के बाद बच्चे पैदा हुए हैं। यानि 2021 के बाद बच्चे पैदा करने वाले कर्मचारियों को भी कंपनी की ओर से 60 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा।
कंपनी के सीईओ ने कहा कि यह देश की कम जन्म दर को बढ़ाने में मदद करने के लिए एक कोशिश है। इसमें कर्मचारी और उनके इमीडिएट परिवार के सदस्यों के लिए मेडिकल एक्सपेंस और उनके बच्चों के लिए कॉलेज ट्यूशन का भुगतान शामिल है। बूयॉन्ग ग्रुप के चेयरमैन ली जोंग-क्यून ने सोमवार (5 फरवरी) को एक बैठक के दौरान कहा कि कंपनी 2021 के बाद पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए कर्मचारियों को 100 मिलियन वोन (S$101,000) प्रदान करेगी।
हालांकि द कोरिया टाइम्स के अनुसार, इस साल केवल 70 कर्मचारी इसके लिए पात्र हैं, जिसमें कंपनी का कुल खर्च 7 बिलियन वॉन (S$7.08 मिलियन) है। 84 वर्षी ली ने पुष्टि की कि कंपनी भविष्य में भी इस नीति को जारी रखेगी। द क्युनघयांग शिनमुन की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा: “यदि सरकार द्वारा भूमि प्रदान की जाती है, तो हम तीन बच्चों को जन्म देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के परिवारों को तीन बच्चों के लिए प्रसव प्रोत्साहन या स्थायी किराये के घर के बीच चयन करने की अनुमति देंगे।
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ली ने चेतावनी दी कि अगर जन्म दर मौजूदा दर से गिरती रही तो देश को ’20 वर्षों में राष्ट्रीय अस्तित्व के संकट” का सामना करना पड़ेगा। बच्चों के पालन-पोषण का आर्थिक बोझ और काम और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाने की कठिनाई इसके प्रमुख कारण हैं। जन्म दर कम है, इसलिए हमने अपरंपरागत प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया है।’