नईदिल्ली। देश के तमाम विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने के खिलाफ दाखिल अर्जी पर शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 6 जुलाई के परिपत्र को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को खत्म करने से इनकार करते हुए कहा कि राज्य के पास परीक्षा रद्द करने का अधिकार है, लेकिन बिना परीक्षा के छात्र पास नहीं होंगे।
ये भी पढ़ें:28 अगस्त से 1 सितंबर तक इस जिले में टोटल लॉकडाउन, हालात को देखते हुए जिला प्र…
अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य महामारी को देखते हुए परीक्षाएं स्थगित कर सकते हैं और अगली तारीख तय करने के लिए यूजीसी से सलाह ली जा सकती है। अदालत ने कहा कि राज्यों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी चाहिए।
Supreme Court says students cannot be promoted without University final year exams. https://t.co/Ko55nKaczS
— ANI (@ANI) August 28, 2020
ये भी पढ़ें: भाजपा नेता का बड़ा बयान, कहा- टीपू सुल्तान देश के सबसे महान स्वतंत्…
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये छात्रों के भविष्य का मामला है। इसके साथ ही देश में उच्च शिक्षा के मानदंडों को भी बनाए रखने की जिम्मेदारी है। इस मामले में छात्रों की तरफ से अदालत में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव पेश हुए।
ये भी पढ़ें: कोरोना मरीजों की सूची वायरल करने पर 3 माह की कैद होगी? जानिए क्या ह…
फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा, राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित किए बिना छात्रों को उत्तीर्ण नहीं कर सकते। जो राज्य 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के इच्छुक नहीं हैं, उन्हें यूजीसी को इसकी जानकारी देनी होगी।