नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन और कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर लोग परेशान हैं। प्रधानमंत्री मोदीे की अपील पर लोग घरों से निकलना कम कर रहे हैं, फिर भी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पीएम मोदी की अपील का असर राजस्थान की कोचिंग कैपिटल कोटा में खास रूप से देखने को मिलता है। यहां हजारों स्टूडेंट पीजी और हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
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यहां अभी तक एक भी कोरोना पाॅजिटिव नहीं मिला है, कोरोना का एपिसेंटर बन चुके भीलवाड़ा से कोटा शहर की दूरी 160 किमी से भी कम है, इसके बावजूद अब भी 35 से 40 हजार छात्रों ने कोराेना को हराने के लिए अपनी जिंदगी को हॉस्टल के रूम से लेकर मैस तक सीमित करके रख दिया है।
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न्यू राजीव गांधी नगर, राजीव गांधी नगर, तलवंडी और जवाहरनगर समेत अन्य जगह हॉस्टलों के कई कमरों में क्रॉस वेंटिलेशन भी नहीं है, सूरज की किरणें भी कमरों तक नहीं पहुंच सकतीं। इसके बावजूद छात्र अपने कमरों में ही रह रहे हैं। परिवार वाले चिंता न करें, इसके लिए वे प्रतिदिन फोन के जरिए संपर्क में रहते हैं। जिला प्रशासन, कोचिंग संचालक और हाॅस्टल संचालक सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन छात्र अपनी इच्छाशक्ति से इस अनुशासन को बना पा रहे हैं।
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कोचिंग बंद होने और लॉकडाउन के बाद उनका पूरा दिन हॉस्टल में ही बीतता है, कोटा के अधिकांश हॉस्टल मध्यमवर्गीय परिवारों को देखते हुए बनाए गए हैं, ज्यादातर हॉस्टल में मनोरंजन की बहुत सुविधाएं नहीं हैं, किताबें-इंटरनेट ही फिलहाल इनके साथी हैं, ऐसे में स्टूडेंट सुबह करीब नौ से दस बजे तक ब्रेकफास्ट खत्म करने के बाद अपने कमरों में चले जाते हैं।
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पढ़ाई के बाद लंच करने मेस जाते हैं और फिर से अपने रूम में आकर आइसोलेशन का वक्त बिताते हैं, छात्र इस समय को भी पॉजिटिव रूप में ले रहे हैं, वे मानते हैं कि जेईई मेन और नीट की तारीख आगे बढ़ने के कारण अब इन्हें पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलेगा।