mothers day special: विधवा मां ने मजदूरी कर तीन बेटियों को बनाया अधिकारी, प्रशासनिक सेवा में एक साथ हुआ चयन | mothers day special: widowed mother made three daughters officer by wages, selected together in administrative service

mothers day special: विधवा मां ने मजदूरी कर तीन बेटियों को बनाया अधिकारी, प्रशासनिक सेवा में एक साथ हुआ चयन

mothers day special: विधवा मां ने मजदूरी कर तीन बेटियों को बनाया अधिकारी, प्रशासनिक सेवा में एक साथ हुआ चयन

:   Modified Date:  May 9, 2024 / 06:17 PM IST, Published Date : May 10, 2020/11:46 am IST

जयपुर। मां की ममता की कहानी तो आपने बहुत सुनी होगी लेकिन हम आपको एक मां के कठोर त्याग और मेहनत की कहानी बताने जा रहे हैं। एक ऐसी मां जो भरी उम्र में विधवा हो गई, पति का साया सिर से उठ गया, उनकी तीन मासूम बच्चियां भी बिना पिता के हो गई। मां के सामने अपनी मासूम बच्चियों को पालने की बड़ी चुनौती सामने खड़ी थी वो भी ऐसे समय में जब बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा चलता था।

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राजस्थान के जयपुर जिले में सारंग का बास एक गांव है, यहां रहने वाली 55 वर्षीय मीरा देवी के पति की मौत कई साल पहले हो गई थी। अब परिवार में ऐसा कोई नहीं था, जो घर का खर्च चला सके, ऐसे में इस गरीब महिला ने घर खर्च चलाने के लिए मजदूरी करनी शुरू कर दी। क्योंकि उनके पति की इच्छा थी कि तीनों बेटियों को पढ़ा लिखाकर उनको अफसर बनाएं। ऐसे में तीनों बेटियों की मां मीरा देवी ने दिन-रात मेहनत-मजदूरी करके अपनी बेटियों को पढ़ाया और इस काम में मीरा के इकलौते बेटे ने उनका पूरा साथ दिया।

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बेटियां कुछ बड़ी हुईं तो गांव के लोग और रिश्तेदार मीरा देवी पर इन तीनों बेटियों की शादी करने के लिए दबाव डालने लगे, लेकिन मीरा देवी ने इन सबकी बातों को नजरअंदाज करते हुए बेटियों की पढ़ाई पर ही फोकस किया। इस संघर्ष में उसके इकलौते बेटे राम सिंह ने भी खुद की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया।

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बहनों का इकलौता भाई राम सिंह भी अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई छोड़कर मां के साथ खेतों में मेहनत-मजदूरी करने लगा, मां और बेटे ने दिन-रात खेत में मेहनत मजदूरी की और तीनों बेटियों की पढ़ाई में गरीबी को आड़े नहीं आने दिया। विधवा मीरा देवी की तीनों बेटियां कमला चौधरी, ममता चौधरी और गीता चौधरी ने भी अपने स्वर्गवासी पिता की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए गांव के एक छोटे से कच्चे मकान में रहते हुए न सिर्फ मन लगाकर पढ़ाई कीं बल्कि उन्होंने लक्ष्य बनाकर दो साल तक जमकर प्रशासनिक सेवा की तैयारी की। उन्होंने UPSC का एग्जाम दिया, लेकिन कुछ नम्बरों से तीनों ही सिलेक्ट नहीं हो सकीं।

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UPSC में असफलता के बाद तीनों बहनों ने एक साथ राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी और उसमें इन तीनों बहनों को कामयाबी मिली। इन तीनों बहनों में सबसे बड़ी बहन कमला चौधरी को ओबीसी रैंक में 32वां स्थान मिला, जबकि गीता को 64वां और ममता को 128वां स्थान मिला। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में कार्यरत तीन सगी बहनें कमला चौधरी, गीता चौधरी और ममता चौधरी और उनकी विधवा मां मीरा देवी पति की मौत के बाद अकेले गृहस्थी की गाड़ी और चार बच्चों की परवरिश का भार उठाने वाली इस मां को मदर्स डे के अवसर पर सलाम है।