भोपाल / इंदौर। कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट करके यह मांग की है कि सरकार सिर्फ़ प्रायमरी ही नहीं बल्कि कक्षा 12वीं तक ऑनलाइन क्लासेस पर रोक लगाये। इसके साथ ही उन्होने मांग की है कि बच्चों की पूरी स्कूली फ़ीस माफ़ की जाए। उन्होने कहा है कि अन्य राज्यों की तरह परीक्षाएं स्थगित कर छात्रों को जनरल प्रमोशन का लाभ दिया जाए।
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बता दें कि मध्यप्रदेश में सरकार ने साफ किया है कि सरकारी व निजी स्कूल अभिभावकों की सहमति से ही खुलेंगें। कोविड-19 के संक्रमण के कारण 22 मार्च से प्रदेश के सभी स्कूल बंद हैं,वहीं, मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को ऑनलाइन कक्षाओं के संबंध में सुझाव जारी किए हैं। आयोग ने प्राइमरी स्कूल के ऑनलाइन क्लास लेने का विरोध किया है, मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है,जिसमें कम से कम कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा नहीं देने की पहल की गई है।
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आयोग ने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देना अव्यवहारिक करार दिया है, आयोग ने इस संबंध में लिखित एवं मौखिक रूप से अनेक आवेदन अभिभावकों के द्वारा भी प्राप्त किए हैं, आयोग का मानना है कि चिकित्सकों और शिक्षकों के अनुसार ऑनलाइन कक्षाओं में सम्मिलित होने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक विकास बाधित होता है। बच्चों की रचनात्मकता एवं स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों में तनाव और दबाव के साथ एकाग्रता की कमी होती हैं।अधिक समय मोबाइल पर लगने से बच्चों में चिड़चिड़ापन,शारीरिक गतिविधियों में कमी और आंखों में लाल पन और सूजन जैसी समस्या आने लगते है,जैसे कई समस्याओ का उल्लेख किया गया है।
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मध्यप्रदेश में ऑनलाइन क्लास के लिए गाइडलाइन में प्री प्राइमरी, ऑनलाइन कक्षाएं पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई हैं, प्राइमरी (कक्षा 1 से 5), ऑनलाइन क्लास पूरी तरह से प्रतिबंधित, मिडिल क्लास (कक्षा 6 से 8), प्रतिदिन दो सत्र, एक सत्र अधिकतम 45 मिनट से अधिक नहीं हो सकता। यानी दिन भर में केवल 90 मिनट अधिकतम। शर्तें ये हैं कि ऑनलाइन क्लास की रिकॉर्डिंग पेरेंट्स को उपलब्ध कराई जाए ताकि वह अपनी सुविधा अनुसार उसका उपयोग कर सकें। NCERT द्वारा जारी किए गए कोविड-19 गाइडलाइन का पालन किया जाए।