नई दिल्ली : Controversial Statements Of Leaders : साल 2024 को खत्म होने में अब कुछ दिन बाकी है और और जल्द ही नया साल 2025 दस्तक देने वाला है। साल 2024 में कई ऐसी घटनाएं सामने आई जिन्होंने सभी को हिला के रख दिया। अपराध, सियासत, मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दे पूरे साल चर्चा में रहे। सियासत के लिहाज से भी साल 2024 काफी हलचल भरा रहा। 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए। चुनाव के दौरान नेताओं के कई ऐसे बयान सामने आए जिन्होंने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया। ध्रुवीकरण की राजनीति के चलते ऐसी टिप्पणियां की गईं जिन्होंने विवाद को जन्म दिया। लिहाज किसी ने नहीं किया। मौका मिला तो जमकर दिल का गुबार निकाला और जब घिरे तो स्पष्टीकरण भी दिया।
सबसे पहले बात करते हैं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती द्वारा हाल ही में दिए गए बयान की। इल्तिजा मुफ्ती ने ‘हिंदुत्व’ को एक “बीमारी” बताया। इल्तिजा मुफ्ती ने 7 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर लिखा, “यह सब देखकर भगवान राम भी बेबसी और शर्म से सिर झुका लेंगे कि उनके नाम का इस्तेमाल करके नाबालिग मुस्लिम बच्चों को सिर्फ इसलिए चप्पलों से मारा जा रहा है क्योंकि उन्होंने राम का नाम लेने से इनकार कर दिया। ‘हिंदुत्व’ एक बीमारी है, जिसने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया है और भगवान के नाम को कलंकित किया है.” खूब हंगामा मचा तो बोलीं हमें गलत को गलत कहने से परहेज नहीं करना चाहिए।
Controversial Statements Of Leaders : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कुछ ऐसा ही किया। सांगली में एक रैली को संबोधित करते हुए खरगे ने भाजपा और आरएसएस की तुलना “जहर” से की थी और उन्हें भारत में “राजनीतिक रूप से सबसे खतरनाक” बताया। मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था “अगर भारत में राजनीतिक रूप से सबसे खतरनाक कोई चीज है तो वह है भाजपा और आरएसएस। वे जहर की तरह हैं। अगर सांप काटता है तो वह व्यक्ति मर जाता है। ऐसे जहरीले सांप को मार देना चाहिए।”
देश में ही नहीं सात समंदर पार से भी ऐसी टिप्पणी की गई जिसने सियासी बवाल मचा दिया। आठ मई को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने लोकसभा चुनाव के दौरान नस्लीय टिप्पणी करते हुए नई बहस को जन्म दे दिया। सैम पित्रोदा ने भारतीयों के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर भारत के लोग तो सफेद नजर आते हैं, जबकि, पूर्वी भारत के लोग चाइनीज दिखते हैं। दक्षिण भारतीय लोग अफ्रीकी जैसे और पश्चिम भारत के लोग अरब के लोगों जैसे दिखते हैं। हालांकि, विवाद बढ़ता देख कांग्रेस ने सैम पित्रोदा ने इस बयान से किनारा करते हुए इसे उनकी निजी राय बताया था।
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Controversial Statements Of Leaders : इतना ही नहीं बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद भी अनर्गल बोलों को लेकर चर्चा में रहा। साल का अंत आते आते पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बेहद शर्मनाक बयान दिया। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने 10 दिसंबर को नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा, “वह नैन सेंकने जा रहे हैं। इसके बाद वह सरकार बनाएंगे।” इसी बयान को लेकर लालू प्रसाद यादव को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोगों को वर्षों पहले हेमा मालिनी को लेकर दी गई टिप्पणी याद आ गई।
नेताओं की ओर से विवादित बयान देने का सिलसिला यहीं नहीं थमा। 24 सितंबर को हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंडी सांसद कंगना रनौत को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की। मानसून सत्र के दौरान नेगी ने सदन में आपदा पर चर्चा करते हुए कहा था, “कंगना राज्य में तब आईं जब सब कुछ सामान्य था. न तो वह तब आईं जब भारी बारिश की चेतावनी थी, न ही तब जब उनके मंडी लोकसभा क्षेत्र में नौ लोग मर गए। वह बारिश के दौरान नहीं आना चाहती थीं, क्योंकि इससे उनका मेकअप धुल जाता, और मेकअप के बिना लोग यह नहीं बता पाते कि यह कंगना रनौत हैं या उनकी मां।”
Controversial Statements Of Leaders : कांग्रेस नेता भाई जगताप तो अपने अध्यक्ष से भी एक कदम आगे निकले। उन्होंने ईसीआई को ही नहीं छोड़ा। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कांग्रेस नेता ने आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने चुनाव आयोग को ‘कुत्ता’ तक कहा। बोले, “चुनाव आयोग तो कुत्ता है, पीएम मोदी के बंगले के बाहर बैठा कुत्ता बनकर काम कर रहा है। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए बनाई गई सभी एजेंसियां अब कठपुतलियां बन गई हैं और नरेंद्र मोदी के प्रभाव में काम कर रही हैं। एजेंसियां, जो हमारे लोकतंत्र की रक्षा के लिए थी, उसका दुरुपयोग किया जा रहा है। महाराष्ट्र और देश भर में चल रही घटनाएं दिखाती हैं कि किस तरह व्यवस्था से छेड़छाड़ की जा रही है।”
देश की सियासत में इस साल संविधान की गूंज सड़क से लेकर संसद तक दिखाई दी। लोकसभा चुनावी समर में 14 अप्रैल को भाजपा के पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने फैजाबाद के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में एक सार्वजनिक बैठक में कथित तौर पर कहा था, “लोकसभा में 272 सांसदों के साथ सरकार बनाई जा सकती है, लेकिन संविधान में संशोधन करने या नया संविधान बनाने के लिए हमें दो-तिहाई से अधिक बहुमत की जरूरत है।” लल्लू सिंह ने इस विवादित टिप्पणी से किनारा कर लिया लेकिन विपक्ष ने इसे चुनाव के दौरान खूब भुनाया। जिसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला।