Complete data of anti-naxal operation 2024: बस्तर: साल 2024 ने बस्तर के लिए एक नई उम्मीद लेकर दस्तक दी थी। दशकों से नक्सल समस्या के समाधान की ओर देख रहे बस्तर ने इस साल एक बड़ा बदलाव भी देखा गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र, जो कभी पुलिस नेटवर्क और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के लिए जाना जाता था, अब वहां के आम लोग नक्सलियों को खुलकर नकारने लगे हैं। कभी सात जिलों में फैले 10,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में नक्सलियों का शासन था, वह अब केवल 4,000 वर्ग किलोमीटर तक सिमट गया है। पुलिस ने इन बचे क्षेत्रों से भी नक्सलियों का सफाया करने की तैयारी शुरू कर दी है।
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नक्सलवाद के खिलाफ कड़ा रुख
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब तक आदिवासी क्षेत्रों में नक्सलवाद रहेगा, तब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी सुविधाएं वहां तक नहीं पहुंच पाएंगी। इसलिए इसका समाधान आवश्यक है। यह रणनीति 2024 की शुरुआत से ही असर दिखाने लगी। पहले डिफेंसिव मोड में काम कर रही पुलिस अब ऑफेंसिव होकर नक्सल मोर्चे पर उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज कर रही है।
ऐतिहासिक नक्सल ऑपरेशन
Complete data of anti-naxal operation 2024 : साल 2024 नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन का गवाह बना। जनवरी से अप्रैल के बीच छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर तीन अलग-अलग मुठभेड़ों में 42 नक्सलियों को मार गिराया गया। केंद्र सरकार ने अंतरराज्यीय समन्वय को मजबूत करते हुए घेराबंदी को और प्रभावी बनाया।
9 अक्टूबर 2024 को नारायणपुर और दंतेवाड़ा के थूलथूली जंगलों में छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपने अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें 31 दुर्दांत नक्सलियों को ढेर किया गया। इनमें कंपनी नंबर 6 के कई वांछित नक्सली शामिल थे। यह ऑपरेशन देश में महाराष्ट्र के बाद नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान साबित हुआ।
2024: नक्सल विरोधी अभियानों का विवरण
- 12 जनवरी 2024 – बीजापुर के गंगालूर क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 16 जनवरी 2024 – दंतेवाड़ा के बारसूर इलाके में एक नक्सली मारा गया।
- 20 जनवरी 2024 – बीजापुर के बासागुड़ा में तीन नक्सली ढेर हुए।
- 2 फरवरी 2024 – नारायणपुर के ओरछा क्षेत्र में दो नक्सली मारे गए।
- 4 फरवरी 2024 – सुकमा के भेज्जी इलाके में एक नक्सली को मार गिराया गया।
- 7 फरवरी 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 24 फरवरी 2024 – सुकमा के भेज्जी में एक और नक्सली मारा गया।
- 25 फरवरी 2024 – कांकेर के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में तीन नक्सली मारे गए।
- 27 फरवरी 2024 – बीजापुर के जांगला इलाके में चार नक्सलियों को ढेर किया गया।
- 3 मार्च 2024 – कांकेर के छोटे बेठिया क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 11 मार्च 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 15 मार्च 2024 – बीजापुर के बेदरे क्षेत्र में दो नक्सली मारे गए।
- 16 मार्च 2024 – कांकेर के कोयलीबेड़ा में एक नक्सली मारा गया।
- 19 मार्च 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल में दो नक्सली मारे गए।
- 23 मार्च 2024 – बीजापुर के गंगालूर में एक नक्सली मारा गया।
- 24 मार्च 2024 – सुकमा के जगरगुंडा में एक नक्सली मारा गया।
- 27 मार्च 2024 – बीजापुर के बासागुड़ा में छह नक्सलियों को मार गिराया गया।
- 2 अप्रैल 2024 – बीजापुर के गंगालूर क्षेत्र में 13 नक्सली मारे गए।
- 2 अप्रैल 2024 – सुकमा के किस्टाराम क्षेत्र में एक नक्सली मारा गया।
- 5 अप्रैल 2024 – दंतेवाड़ा के किरंदुल में एक नक्सली मारा गया।
- 6 अप्रैल 2024 – बीजापुर के उसूर इलाके में तीन नक्सली मारे गए।
- 16 अप्रैल 2024 – कांकेर के छोटे बेठिया क्षेत्र में 29 नक्सली मारे गए।
- 24 अप्रैल 2024 – बीजापुर के भैरमगढ़ में एक नक्सली मारा गया।
- 29 अप्रैल 2024 – सुकमा के किस्टाराम में एक नक्सली मारा गया।
- 30 अप्रैल 2024 – कांकेर के टेकमेटा क्षेत्र में 10 नक्सली मारे गए।
- 23 अप्रैल 2024 – एक मुठभेड़ में आठ नक्सली मारे गए।
- 10 मई 2024 – बीजापुर के पीडिया इलाके में 12 नक्सली ढेर हुए।
- 8 जून 2024 – नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर गोबेल मुंगोदी क्षेत्र मेंछह नक्सलियों को मार गिराया गया।
- 15 जून 2024 – अबूझमाड़ क्षेत्र में आठ नक्सली मारे गए।
- 9 जुलाई 2024 – नारायणपुर के छोटे बेठिया इलाके में एक महिला नक्सली को ढेर किया गया।
- 17 जुलाई 2024 – छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर 12 नक्सली मारे गए।
- 18 जुलाई 2024 – दंतेवाड़ा में एक महिला नक्सली मारी गई।
- 20 जुलाई 2024 – सुकमा में एक नक्सली को मार गिराया गया।
- 29 अगस्त 2024 – अबूझमाड़ के बिना गुंडम आद्नार क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान तीन वर्दीधारी नक्सली मारे गए।
- 30 अगस्त 2024 – अबूझमाड़ के कांकेर और नारायणपुर की सीमा में हुई मुठभेड़ में दो इनामी नक्सली ढेर हुए।
- 3 सितंबर 2024 – दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा पर नौ नक्सली मारे गए।
- 5 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर छह नक्सली मारे गए।
- 14 सितंबर 2024 – सुकमा में एक नक्सली को मार गिराया गया।
- 23 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर तीन नक्सली मारे गए।
- 9 अक्टूबर 2024 – मुठभेड़ के दौरान 31 माओवादी मारे गए, जिन पर 2 करोड़ 15 लाख का इनाम था। बाद में नक्सलियों ने मृतकों की संख्या 35 बताई।
- 9 नवंबर 2024 – बीजापुर के रेखापलि क्षेत्र में मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए।
- 22 नवंबर 2024 – भंडारपदर क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद 10 वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद हुए।
- 12 दिसंबर 2024 – दक्षिण अबूझमाड़ में नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर चार जिलों की पुलिस ने संयुक्त अभियान में सात वर्दीधारी नक्सलियों को मार गिराया।
कुल आँकड़े
दिसंबर 2024 के अंत तक विभिन्न मुठभेड़ों में कुल 217 नक्सली मारे गए हैं।
821 ने डाले हथियार तो 857 चढ़े पुलिस के हत्थे
Complete data of anti-naxal operation 2024 : साल 2024 के दौरान नक्सल प्रभावित इलाकों में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए हैं। इस वर्ष कुल 821 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 857 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही, सुरक्षा बलों ने नक्सलियों से 281 हथियार जब्त किए और 264 आईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरामद किए। हालांकि, बीते वर्षों के मुकाबले इस बार नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों पर अधिक हमले किए गए।
साल 2024 में नक्सलियों द्वारा कुल 68 ग्रामीणों की हत्या की गई, जबकि 12 आम नागरिक इन घटनाओं में घायल हुए। तुलना करें तो, साल 2023 में 140 ग्रामीणों की हत्या हुई थी, साल 2022 में यह संख्या 36 थी, और 2021 में 33 ग्रामीण मारे गए थे।
Complete data of anti-naxal operation 2024 : नक्सली हिंसा से संबंधित अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इस वर्ष कुल 383 नक्सली अपराध दर्ज किए गए, जो पिछले साल के मुकाबले (233 अपराध) काफी अधिक है। इसका एक प्रमुख कारण नए पुलिस थानों का खुलना है। पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। साल 2023 में जहां 69 मुठभेड़ हुई थीं, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 113 तक पहुंच चुका है। इन मुठभेड़ों में मारे गए नक्सलियों के शव बरामद करने के मामले में भी यह साल रिकॉर्ड बना चुका है। इस वर्ष कुल 217 वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जो छत्तीसगढ़ गठन के बाद से सबसे अधिक है।
नक्सली हिंसा में कमी आने के चलते बस्तर और कोंडागांव जिलों को नक्सली-मुक्त घोषित किया गया है। छत्तीसगढ़ के पहले 15 जिले नक्सल प्रभावित माने जाते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 13 रह गई है। लगातार नक्सल-मुक्त हो रहे इलाकों में पुलिस कैंप विकास का प्रतीक बनकर उभर रहे हैं। इन कैंपों के आसपास नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर विभिन्न योजनाओं को लागू किया जा रहा है।
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Complete data of anti-naxal operation 2024 : नए पुलिस कैंपों के साथ राज्य सरकार ने “नियद नेल नार योजना” शुरू की है। यह योजना सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर जिलों में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य नक्सली हिंसा से प्रभावित गांवों को आदर्श ग्राम में बदलना है। जहां पहले बुनियादी सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाती थीं, वहां अब विकास कार्य हो रहे हैं।
इस योजना के तहत पांच जिलों के आठ विकासखंडों में सुरक्षा कैंपों के आसपास के 90 गांवों को चुना गया है। इन गांवों में सुरक्षा कैंपों से 5 किलोमीटर के दायरे में सभी सरकारी योजनाओं का संचालन सुनिश्चित किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ शासन की अन्य योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
Complete data of anti-naxal operation 2024 : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में यह प्रयास न केवल सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक साबित हो रहा है, बल्कि इन इलाकों में विकास की नई किरण भी लेकर आया है।
FAQ: 2024 में नक्सल उन्मूलन अभियान में सफलता
प्रश्न 1: 2024 में सबसे बड़ी मुठभेड़ कब हुई?
- 16 अप्रैल 2024 को कांकेर के छोटे बेठिया क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए। यह साल की सबसे बड़ी कार्रवाई थी।
प्रश्न 2: अक्टूबर 2024 में कितने माओवादी मारे गए?
- 9 अक्टूबर 2024 को मुठभेड़ के दौरान 31 माओवादी मारे गए।
प्रश्न 3: क्या 2024 में नक्सल उन्मूलन अभियान सफल रहा?
- हाँ, 2024 में कुल 217 नक्सली मारे गए, जो अभियान की बड़ी सफलता को दर्शाता है।
प्रश्न 4: कौन से क्षेत्र 2024 में नक्सल गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित रहे?
- बीजापुर, कांकेर, सुकमा, दंतेवाड़ा, और नारायणपुर क्षेत्र नक्सल गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित रहे।
प्रश्न 5: नक्सल उन्मूलन अभियान में कौन-कौन सी प्रमुख रणनीतियाँ अपनाई गईं?
- संयुक्त पुलिस अभियान, उन्नत खुफिया जानकारी, और सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर समन्वय नक्सल उन्मूलन अभियान की प्रमुख रणनीतियाँ रहीं।