(रिचर्ड ऑर्टन और विल्हेम फर्नन, ग्लासगो विश्वविद्यालय)
ग्लासगो, 20 सितंबर (द कन्वरसेशन) कोविड का एक नया स्वरूप तेजी से फैल रहा है और जल्द ही यह दुनिया भर में सबसे ज़्यादा फैलने वाला स्वरूप बन सकता है। एक्सईसी नामक इस स्वरूप का सबसे पहले अगस्त में जर्मनी में पता चला था और ऐसा लगता है कि यह अन्य प्रचलित स्वरूपों की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से फैल रहा है- लेकिन यह कोई बहुत अलग प्रकार का नहीं है।
एक्सईसी को ‘‘रीकॉम्बिनेंट वेरिएंट’’ के रूप में जाना जाता है। रीकॉम्बिनेंट स्वाभाविक रूप से तब किसी व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है जब कोई व्यक्ति एक साथ दो अलग-अलग कोविड स्वरूप से संक्रमित होता है।
एक्सईसी केएस.1.1 स्वरूप और केपी.3.3 स्वरूप के बीच पुनर्संयोजन (दो स्वरूपों के बीच आनुवंशिक सामग्री के आदान-प्रदान किए गए टुकड़े) का उत्पाद है। इन दो मूल स्वरूपों का आपस में काफी निकट संबंध है। दोनों जेएन.1 से विकसित हुए हैं, जो 2024 की शुरुआत में दुनिया भर में प्रमुख स्वरूप था।
सबसे पहले एक्सईसी के बारे में अगस्त 2024 के शुरू में जर्मनी और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में जानकारी सामने आई थी, लेकिन तब से इसका प्रसार जारी है तथा यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के 27 देशों में इसके 600 से अधिक मामले सामने आए हैं।
वैज्ञानिक गिसेड नामक सार्वजनिक डेटाबेस का उपयोग करके एक्सईसी मामलों की पहचान करते हैं, जिसमें विश्लेषण के लिए वायरस के आनुवंशिक अनुक्रम अपलोड किए जाते हैं। यहीं पर सार्स-कोव-2 (वह वायरस जो कोविड का कारण बनता है) में उत्परिवर्तन का पता चलता है।
लेकिन यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे कोई शराबी अपनी खोई हुई चाबियाँ स्ट्रीट लैंप के नीचे ढूँढ़ रहा हो क्योंकि वहाँ सबसे अच्छी रोशनी होती है। दूसरे शब्दों में, नए स्वरूप के ज़्यादा मामले उन देशों में देखे जाते हैं जो आम तौर पर नियमित निगरानी कार्यक्रमों के ज़रिए ज़्यादा नमूने लेते हैं।
18 सितंबर तक जिन देशों में सबसे ज़्यादा एक्सईसी मामले पहचाने गए हैं, वे हैं अमेरिका (118), जर्मनी (92), ब्रिटेन (82), कनाडा (77) और डेनमार्क (61)। बेशक, ये संख्या उन देशों में ज़्यादा हो सकती है जो नियमित रूप से कोविड नमूनों का अनुक्रम नहीं करते हैं।
वर्तमान में, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में प्रमुख स्वरूप केपी.3.1.1 है, जबकि इससे निकट संबंध रखने वाला केपी.3.3 एशिया में मौजूद प्रमुख स्वरूप है।
एक्सईसी एक अल्पसंख्या वाला स्वरूप है और इसकी मौजूदगी जर्मनी में सबसे अधिक है, जहां लगभग 13 प्रतिशत अनुक्रम संभावित रूप से एक्सईसी हैं।
ब्रिटेन में, इसकी व्यापकता लगभग सात प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में यह 5 प्रतिशत से कम है। हालाँकि, एक्सईसी वृद्धि के क्रम में अन्य प्रचलित स्वरूप की तुलना में तेज़ी से फैल रहा है, जिससे पता चलता है कि यह अगले कुछ महीनों में वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्वरूप बन जाएगा।
एक्सईसी में अपने दोनों मूल स्वरूपों के साथ-साथ अन्य मौजूदा स्वरूप के समान आनुवंशिक सामग्री होती है, जो कि अधिकांशतः जेएन.1 से उत्पन्न होते हैं।
एक्सईसी के अनुकूल स्थिति का एक कारण स्पाइक प्रोटीन में अपेक्षाकृत दुर्लभ टी22एन उत्परिवर्तन (केएस.1.1 से विरासत में मिला) और क्यू493ई (केपी.3.3 से) का संयोजन हो सकता है।
स्पाइक प्रोटीन वायरस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मानव कोशिकाओं से जुड़ता है, जिससे वायरस को प्रवेश करने और प्रतिकृति बनाने में मदद मिलती है। हालाँकि, टी22एन उत्परिवर्तन के प्रभावों के बारे में बहुत कम जानकारी है कि वायरस लोगों के बीच कितनी अच्छी तरह से प्रतिकृति बना सकता है या फैल सकता है।
लेकिन क्या इससे अधिक गंभीर बीमारी हो सकती है?
हमारे पास अभी तक मरीजों या प्रयोगशाला प्रयोगों से डेटा नहीं है जो हमें बता सके कि एक्सईसी किस तरह की बीमारी का कारण बन सकता है – हालाँकि यह डेटा जल्द ही मिलने की उम्मीद है। हालाँकि, यह नया स्वरूप संभवतः बीमारी के मामले में अन्य कोविड स्वरूप के समान होगा, क्योंकि इसकी आनुवंशिक जानकारी समान है। इसलिए तेज बुखार, खांसी के साथ गले में खराश, सिरदर्द और शरीर में दर्द के साथ-साथ थकान जैसे लक्षण हो सकते हैं।
ब्रिटेन में शरद ऋतु बूस्टर अभियान अक्टूबर में शुरू होगा, जिसमें जेएन.1 स्वरूप को लक्षित करने वाले एक अद्यतन टीके का उपयोग किया जाएगा, जिससे एक्सईसी उत्पन्न होता है, जो गंभीर बीमारी के खिलाफ अच्छे स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
एक्सईसी, पिछले और मौजूदा कोविड स्वरूप की लंबी सूची में नवीनतम है, जिस पर वायरस के स्वाभाविक रूप से विकसित होने के कारण निगरानी रखी जा रही है। रीकॉम्बिनेंट स्वरूप अपने आप में कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि 2023 में कोविड मामलों में एक्सबीबी रीकॉम्बिनेंट स्वरूप का दबदबा था।
कई अन्य निकट संबंधी स्वरूपों पर नज़र रखी जा रही है, जैसे कि एमवी.1 स्वरूप, जिसमें एक्सईसी की तरह स्पाइक प्रोटीन में टी22एन उत्परिवर्तन भी है। एमवी.1 मूल रूप से जून के अंत में भारत में सामने आया था और यह अन्य देशों में भी तेज़ी से फैल गया, जिससे यह भविष्य में निगरानी के लिए एक विकल्प बन गया है।
एक्सईसी वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्वरूप बन सकता है, लेकिन हो सकता है कि इससे पहले ही इसे पीछे छोड़ दिया जाए या फिर इसके तुरंत बाद ही किसी भिन्न लेकिन निकट संबंधी स्वरूप द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए।
(द कन्वरसेशन) नेत्रपाल नरेश
नरेश