रूस में बन गई दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन! पश्चिमी देशों समेत वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने जताई चिंता, जानिए वजह

रूस में बन गई दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन! पश्चिमी देशों समेत वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने जताई चिंता, जानिए वजह

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  • Publish Date - August 11, 2020 / 01:25 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:32 PM IST

मास्को। दुनिया भर में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस के खात्मे के लिए रूस ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्‍सीन अप्रूव हो गई है। रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को यह ऐलान किया। उन्‍होंने कहा कि रूस में बनी पहली कोविड-19 वैक्‍सीन को हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री से अप्रूवल मिल गया है।

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पुतिन ने यह भी कहा कि उनकी दो बेटियों को यह टीका लगाया जा चुका है। रूस के राष्‍ट्रपति ने कहा, “इस सुबह दुनिया में पहली बार, नए कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्‍सीन रजिस्‍टर्ड हुई।” उन्‍होंने उन सभी को धन्‍यवाद दिया जिन्‍होंने इस वैक्‍सीन पर काम किया है। पुतिन ने कहा कि वैक्‍सीन सारे जरूरी टेस्‍ट से गुजरी है। अब यह वैक्‍सीन बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भेजी जाएगी।

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रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने जानकारी दी कि उनकी दो बेटी को इस वैक्‍सीन की डोज लगाई जा चुकी है। उन्‍होंने कहा कि वे दोनों ठीक महसूस कर रही हैं और किसी तरह के साइड इफेक्‍ट्स नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पहले टीके के बाद उसका तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था उसके बाद 37 डिग्री से कुछ अधिक था। अब वह बिल्कुल स्वस्थ्य है।

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रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मिखाइल मुराशको के मुताबिक, इसी महीने से हेल्‍थ वर्कर्स को वैक्‍सीन देने की शुरुआत हो सकती है। रूस में सबसे पहले फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। इसके बाद सीनियर सिटिजंस को वैक्‍सीन दी जाएगी।फिलहाल इस वैक्‍सीन की लिमिटेड डोज तैयार की गई हैं। रेगुलेटरी अप्रूवल मिल चुका है तो अब इस वैक्‍सीन का इंडस्ट्रियल प्रोडक्‍शन सितंबर से शुरू हो सकता है। रूस ने कहा है कि वह अक्‍टूबर से देशभर में टीका लगाने की शुरुआत कर सकता है।

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रूस ने दुनियाभर में वैक्‍सीन सप्‍लाई करने की बात तो कही है मगर कई देश अभी इसे लेकर हिचक रहे हैं। पश्चिमी देशों समेत वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने चिंता जताई है कि बिना पर्याप्‍त डेटा के वैक्‍सीन सप्‍लाई करना ठीक नहीं होगा। यूनाइटेड किंगडम ने साफ कहा है कि वह अपने नागरिकों को रूसी वैक्‍सीन की डोज नहीं देगा। ऐसे में हो सकता है कि शुरुआती दौर में वैक्‍सीन दूसरे देशों को न भेजी जाए। रूस की आम जनता पर वैक्‍सीन का असर देखने के बाद बाकी देश इसपर कोई फैसला कर सकते हैं।

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रूसी एजेंसी TASS के अनुसार, रूस में यह वैक्‍सीन ‘फ्री ऑफ कॉस्‍ट’ उपलब्‍ध होगी। इसपर आने वाली लागत को देश के बजट से पूरा किया जाएगा। बाकी देशों के लिए कीमत का खुलासा अभी नहीं किया गया है। मॉस्‍को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एडेनोवायरस को बेस बनाकर यह वैक्‍सीन तैयार की है। रिसर्चर्स का दावा है कि वैक्‍सीन में जो पार्टिकल्‍स यूज हुए हैं, वे खुद को रेप्लिकेट (कॉपी) नहीं कर सकते। रिसर्च और मैनुफैक्‍चरिंग में शामिल कई लोगों ने खुद को इस वैक्‍सीन की डोज दी है। कुछ लोगों को वैक्‍सीन की डोज दिए जााने पर बुखार आ सकता है जिसके लिए पैरासिटामॉल के इस्‍तेमाल की सलाह दी गई है।

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रूस ने जहां वैक्‍सीन लॉन्‍च कर दी है, वहीं बाकी दुनिया अभी कोरोना टीकों का ट्रायल कर रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल, जापान, चीन भारत समेत कई देशों में वैक्‍सीन के क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं। ट्रायल के आखिरी स्‍टेज में कुल 5 वैक्‍सीन पहुंच चुकी हैं और शुरुआती नतीजे अक्‍टूबर तक आ सकते हैं।

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रूस ने वैक्‍सीन लॉन्‍च करने में जो ‘जल्‍दबाजी’ दिखाई है, वह दुनियाभर के गले नहीं उतर रही। इसी हफ्ते से यह वैक्‍सीन नागरिकों को दी जाने लगेगी मगर वहीं पर इसका विरोध होने लगा है। मल्‍टीनैशनल फार्मा कंपनीज की एक लोकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि क्लिनिकल ट्रायल पूरा किए बिना वैक्‍सीन के सिविल यूज की इजाजत देना खतरनाक कदम साबित हो सकता है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्‍स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को डोज दी गई है, ऐसे में बड़े पैमाने पर इसका इस्‍तेमाल खतरनाक हो सकता है।