आईएसआईएस से जुड़ने के बाद वापस लौटीं महिलाओं का जीवन

आईएसआईएस से जुड़ने के बाद वापस लौटीं महिलाओं का जीवन

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  • Publish Date - July 1, 2024 / 04:06 PM IST,
    Updated On - July 1, 2024 / 04:06 PM IST

(हेलेन स्टेंगर, मोनाश विश्वविद्यालय)

मेलबर्न, एक जुलाई (360 इंफो) आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की सदस्य रहीं महिलाओं की घर वापसी की गुहार को सरकारें नजरअंदाज कर रही हैं, जिससे मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा कमजोर होती है।

आईएसआईएस आतंकवादी समूह की स्वघोषित ‘खिलाफत’ सीरियाई गृहयुद्ध और इराकी इस्लामी विद्रोह से उभरी। एक समय सीरिया एवं इराक में इसका दबदबा था और इससे तुर्किये की सीमा को भी खतरा था, लेकिन पांच साल के भीतर इन क्षेत्रों पर उसने अपना कब्जा गंवा दिया।

सीरिया और इराक में आईएसआईएस खिलाफत से 40,000 से अधिक विदेशी सदस्य जुड़े, जिनमें से लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं थीं। यह पहली बार था जब हजारों महिलाएं विदेश में किसी आतंकवादी समूह में शामिल हुईं।

नारीवादी शोधकर्ता पिछले एक दशक से समूह में महिलाओं की भागीदारी और अनुभवों की बारीकियों का विश्लेषण कर रहे हैं कि वे समूह में शामिल क्यों और कैसे हुई। इसके बावजूद आईएसआईएस से जुड़ने वाली उन विदेशी महिलाओं (और बच्चों) पर बहुत कम ध्यान दिया गया है, जो अब भी सीरिया और इराक में हैं। उनकी वापसी, पुनर्वास और पुनः एकीकरण की आवश्यकता पर भी ध्यान नहीं दिया गया है।

इन सवालों का कोई जवाब नहीं है कि उन विदेशी महिलाओं के साथ क्या किया जाना चाहिए जिन्हें शिविरों से वापस नहीं लाया गया तथा जो महिलाएं वापस आई हैं उनके लिए क्या पुनर्वास और पुनः एकीकरण कार्यक्रम हैं।

सीरिया के उत्तर पूर्व में ‘उत्तर और पूर्वी सीरिया का स्वायत्त प्रशासन’ है, जहां अल-होल और अल-रोज शिविर हैं। वहां सीरियाई संघर्ष से विस्थापित हुए हजारों लोग रहते हैं, जिनमें हजारों महिलाएं एवं बच्चे शामिल हैं। इनमें रूस, ब्रिटेन और चीन सहित 50 से अधिक देशों की आईएसआईएस से जुड़ी कई ऐसी महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जिन्हें शिविर की बाकी आबादी से अलग एक परिसर में बंदी बनाकर रखा गया है।

शिविरों में स्थिति बहुत खराब है और उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार की तुलना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत यातना से की गई है। कई रिपोर्ट और विवरण बताते हैं कि इस अनिश्चितकालीन कारावास के घातक, दीर्घकालिक परिणाम हैं।

इन शिविरों में न केवल आईएसआईएस से जुड़ी महिलाओं और बच्चों को हिरासत में रखा जाता है, बल्कि यजीदी समुदाय की महिलाओं समेत आईएसआईएस की पीड़िताओं को भी वहीं रखा जाता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि शिविर में रहने वाले अधिकतर लोग इराकी और सीरियाई परिवार से संबंध रखते हैं। यह ‘उत्तर और पूर्वी सीरिया के स्वायत्त प्रशासन’ के दबाव को कम करने के लिए विदेशियों को वापस भेजने, उनके पुनर्वास और पुनः एकीकृत करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।

कुछ सरकारों ने हालांकि अपने नागरिकों को वापस लाने के अपने प्रयासों को बढ़ा दिया है, लेकिन विशेष रूप से महिलाओं के पुनर्वास और पुनः एकीकरण कार्यक्रमों पर बहुत कम शोध किया गया है।

प्रश्न यह है कि क्या सरकारें इन महिलाओं की लिंग-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य करने के लिए तैयार हैं।

मैंने आईएसआईएस से जुड़ी विदेशी महिलाओं के पुनर्वास और पुनः एकीकरण के क्षेत्र में 12 देशों में शोध किया है तथा वापस लौटी महिलाओं और उनका उपचार करने वाले चिकित्सकों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं का साक्षात्कार लिया है।

निष्कर्ष बताते हैं कि वापस लौटने वाले इन लोगों के लिए पुनर्वास और पुनः एकीकरण कार्यक्रम मुख्य रूप से केवल पुरुषों पर ही केंद्रित हैं तथा इनमें महिलाओं के अनुभवों और आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है।

शोध से पता चला है कि वापस लौटने वाली महिलाओं के पुनर्वास और पुनः एकीकरण की प्रक्रिया अक्सर लिंग, नस्ल और धार्मिक मान्यताओं से प्रभावित होती हैं।

शोध में भाग लेने वालों ने बताया कि वापस लौटने वाली महिलाओं को ‘दोहरा कलंक’ झेलना पड़ता है। उनके साथ न केवल एक चरमपंथी समूह में शामिल होने का कलंक जुड़ जाता है, बल्कि उन्हें ऐसा करके पारंपरिक लैंगिक नियमों का उल्लंघन करने का दोषी भी माना जाता है। जातीय या धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाली या प्रवासी महिलाएं इससे विशेष रूप से प्रभावित होती हैं।

आईएसआईएस से जुड़ने के बाद वापस लौटने वालों के बारे में खासकर गैर-मुस्लिम देशों में जनता की सोच काफी हद तक मुसलमानों के प्रति पूर्वाग्रह (इस्लामोफोबिया) से प्रभावित है।

शोध के अनुसार, पुनर्वास और पुनः एकीकरण के कार्यक्रम बनाते समय व्यक्तिगत अंतर और असमानताओं पर विचार किया जाना चाहिए और अल्पसंख्यक जातीय या धार्मिक समूहों की महिलाओं के विशिष्ट अनुभवों को ध्यान में रखना चाहिए।

आईआईएस से जुड़े लोगों के सफल प्रत्यर्पण, आवश्यक होने पर मुकदमा चलाने, वापस लौटे सभी लोगों का पुनर्वास करने और उन्हें पुनः एकीकृत करने से न केवल सीरिया और इराक में मानवीय स्थिति में सुधार होगा, बल्कि इन लोगों के अन्य किसी चरमपंथी समूह में फिर से शामिल होने की संभावना कम होगी जिससे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी।

(360 इंफो डॉट ओआरजी)

सिम्मी दिलीप

दिलीप