(गैरी सैक्स, डेकिन विश्वविद्यालय)
मेलबर्न, छह जुलाई (द कन्वर्सेशन) इस सप्ताह ऑस्ट्रेलिया सरकार से हमारे आहार में सुधार लाने के उद्देश्य से कई उपायों को लागू करने की मांग की गई है। इनमें जंक फूड के विज्ञापन पर प्रतिबंध, खाद्य लेबलिंग (खाने-पीने की चीजों के बारे में उपयोगी जानकारी) में सुधार और मीठे पेय पदार्थों पर शुल्क लगाना शामिल है।
इस बार ये सिफारिशें ऑस्ट्रेलिया में मधुमेह के बारे में संसदीय जांच से आई हैं। बुधवार को संसद में पेश की गई इसकी अंतिम रिपोर्ट विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों वाली संसदीय समिति द्वारा तैयार की गई थी।
इस रिपोर्ट का जारी होना इस बात का संकेत हो सकता है कि ऑस्ट्रेलिया आखिरकार साक्ष्य-आधारित स्वस्थ भोजन नीतियों को लागू करने जा रहा है जिसकी सिफारिश सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ वर्षों से कर रहे हैं।
लेकिन हम जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की सरकारें ऐतिहासिक रूप से ऐसी नीतियों को लागू करने के लिए तैयार नहीं रही हैं जिनका शक्तिशाली खाद्य उद्योग विरोध करता है। सवाल यह है कि क्या मौजूदा सरकार ऑस्ट्रेलियाई लोगों के स्वास्थ्य को अस्वास्थ्यकर भोजन बेचने वाली कंपनियों के मुनाफे से ऊपर रखेगी।
ऑस्ट्रेलिया में मधुमेह
मधुमेह देश में सबसे तेजी से बढ़ती पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है, जिससे 13 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। अनुमानों से पता चलता है कि आने वाले दशकों में इस स्थिति से पीड़ित ऑस्ट्रेलियाई लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने वाली है।
मधुमेह के अधिकतर मामलों का कारण टाइप 2 मधुमेह है। इसकी रोकथाम काफी हद तक की जा सकती है जिसमें मोटापा सबसे मजबूत जोखिम कारकों में से एक है।
इस नवीनतम रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि मधुमेह के बोझ को कम करने के लिए हमें मोटापे की रोकथाम पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था को हर साल अरबों डॉलर का नुकसान होता है और निवारक उपाय भी अत्यधिक लागत वाले हैं।
इसका मतलब है कि मोटापे और मधुमेह की रोकथाम पर खर्च किए गए पैसे से स्वास्थ्य देखभाल लागत में सरकार की भारी बचत होगी। भविष्य में हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रभावित होने से बचाने के लिए रोकथाम भी आवश्यक है।
रिपोर्ट क्या सुझाव देती है?
रिपोर्ट में मधुमेह और मोटापे से निपटने के लिए 23 सुझाव दिए गए हैं।
इनमें शामिल हैं:
-बच्चों के लिए अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विपणन पर प्रतिबंध, जिसमें टीवी और ऑनलाइन माध्यम भी शामिल हैं।
– खाद्य लेबलिंग में सुधार जिससे लोगों के लिए उत्पादों में अतिरिक्त चीनी की मात्रा को समझना आसान हो जाएगा।
– शर्करा युक्त पेय पदार्थों पर कर, जिसमें चीनी की ज्यादा मात्रा वाले उत्पादों पर अधिक कर लगाया जाएगा (जिसे आमतौर पर चीनी कर कहा जाता है)।
ये मुख्य सिफारिशें पिछले दशक में मोटापे की रोकथाम पर कई रिपोर्ट में प्राथमिकता दी गई सिफारिशों से मेल खाती हैं। इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि ये सिफारिशें कारगर साबित होंगी।
अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विपणन पर प्रतिबंध
सरकार द्वारा बच्चों को अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की बिक्री को विनियमित करने पर विचार करने के लिए समिति की ओर से समर्थन मिला।
सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों ने बच्चों को अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों और संबंधित ब्रांड की बिक्री से बचाने के लिए व्यापक अनिवार्य कानून बनाने की लगातार मांग की है।
चिली और ब्रिटेन सहित कई देशों ने टीवी, ऑनलाइन और सुपरमार्केट सहित कई तरह की जगहों पर अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विपणन पर प्रतिबंध लगाने का कानून बनाया है। इस बात के प्रमाण हैं कि ऐसी व्यापक नीतियों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में खाद्य उद्योग ने बच्चों को सीधे लक्षित करने वाले कुछ अस्वास्थ्यकर खाद्य विज्ञापनों को कम करने के लिए स्वैच्छिक प्रतिबद्धताएं की हैं, लेकिन इन वादों को व्यापक रूप से अप्रभावी माना जाता है।
सरकार वर्तमान में बच्चों के लिए अस्वास्थ्यकर खाद्य सामग्री की बिक्री को सीमित करने के अतिरिक्त विकल्पों पर अध्ययन कर रही है।
लेकिन किसी भी नयी नीति की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे कितनी व्यापक हैं। खाद्य कंपनियों द्वारा अपने प्रभाव को अधिकतम करने के लिए अपनी विपणन तकनीकों में तेजी से बदलाव करने की संभावना है।
खाद्य लेबलिंग
खाद्य विनियामक प्राधिकरण वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में खाद्य लेबलिंग में कई सुधारों पर विचार कर रहे हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों ने ऑस्ट्रेलिया में आहार में सुधार के लिए प्राथमिकता के रूप में स्वास्थ्य स्टार रेटिंग के अनिवार्य कार्यान्वयन की लगातार सिफारिश की है। इस तरह के बदलावों से हम जो खाते हैं उसकी स्वास्थ्यप्रदता में सार्थक सुधार होने की संभावना है।
ऑस्ट्रेलिया में खाद्य लेबलिंग कानूनों में बदलाव बेहद धीमी गति से हो रहे हैं और खाद्य कंपनियां अपने मुनाफे को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी नीतिगत बदलाव का विरोध करने और उसे टालने के लिए जानी जाती हैं।
मीठे पेय पदार्थों पर कर
रिपोर्ट की 23 सिफारिशों में से मीठे पेय पदार्थों पर कर लगाना एकमात्र ऐसी सिफारिश थी जिसका समिति द्वारा हर तरह से समर्थन नहीं किया गया।
समिति के चार लिबरल और नेशनल पार्टी सदस्यों ने इस नीति के कार्यान्वयन का विरोध किया।
असहमति जताने वाले समिति सदस्यों ने तर्क दिया कि मीठे पेय पदार्थों पर कर लगाने से कम आय वाले परिवारों को नुकसान होगा।
अब क्या होगा?
लोगों के आहार में सुधार और मोटापे की रोकथाम के लिए नीतिगत सुधारों के एक व्यापक और समन्वित पैकेज की आवश्यकता होगी।
विश्व स्तर पर मोटापे और मधुमेह का सामना करने वाले कई देश इस तरह की मजबूत निवारक कार्रवाई शुरू कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में वर्षों की निष्क्रियता के बाद इस सप्ताह की रिपोर्ट नवीनतम संकेत है कि लंबे समय से प्रतीक्षित नीतिगत परिवर्तन निकट हो सकता है।
लेकिन सार्थक और प्रभावी नीति परिवर्तन के लिए राजनेताओं को अपने लाभ के बारे में चिंतित खाद्य कंपनियों के बजाय सार्वजनिक स्वास्थ्य साक्ष्य को सुनने की आवश्यकता होगी।
(द कन्वर्सेशन)
शुभम नेत्रपाल
नेत्रपाल