इस्लामाबाद। पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कुलभूषण जाधव को बड़ी राहत मिल गई है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नैशनल असेंबली ने कुलभूषण जाधव को उच्च अदालतों में अपील करने की मंजूरी देने वाले बिल को अपनी स्वीकृति दे दी। सैन्य अदालत की ओर से मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव को अपील करने का अधिकार नहीं था। इस पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी।
भारत ने कहा कि कुलभूषण जाधव ईरान में अपना बिजनस चला रहे थे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण जाधव के फांसी की सजा पर वर्ष 2018 में रोक लगा दी थी। पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नैशनल असेंबली ने गुरुवार को 21 सदस्यीय स्टैंडिंग कमिटी बनाने को मंजूरी दे दी। इसका नाम इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ऐक्ट नाम दिया है। यह कानून बनने के बाद पूरे पाकिस्तान पर लागू होगा। इससे पहले पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप एक अध्यादेश भी ला चुकी है।
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इस बिल में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के अनुरूप मौत की सजा की समीक्षा करने और पुर्नविचार करने के ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। जानकारों का कहना है कि कुलभूषण जाधव के पाकिस्तान की उच्च अदालतों में अपील करने पर उनके भारत वापस भेजे जाने की संभावना बन सकती है। पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव को वर्ष 2016 में बलूचिस्तान से पकड़ा गया था और उसे जासूसी के आरोप में उसी साल एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज किया है और कहा कि कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से किडनैप किया गया।
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इससे पहले पाकिस्तान सरकार भारत से लगातार वकील नियुक्त करने की अपील कर रही है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने पिछले दिनों इस मामले की सुनवाई करते हुए विदेश कार्यालय से कहा था कि वह भारत से वकील नियुक्त करने के लिए संपर्क करे और मामले की इस अदालत द्वारा सुनवाई के न्यायाधिकार क्षेत्र पर भारत की गलतफहमी दूर करे। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जहीद हफीज चौधरी ने इस मामले में कहा था, ‘हमने भारत से एक बार फिर कुलभूषण जाधव मामले में वकील नियुक्त कर पाकिस्तान अदालत के साथ सहयोग करने का आह्वान किया है ताकि मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के आदेश को पूरी तरह से प्रभावी बनाया जा सके।’
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भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी 50 वर्षीय जाधव को अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया था और पाकिस्तान द्वारा राजनयिक पहुंच नहीं दिए जाने और मौत की सजा को चुनौती दी थी।
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