अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार चीनी छात्र इतने सफल क्यों हैं?

अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार चीनी छात्र इतने सफल क्यों हैं?

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  • Publish Date - October 21, 2024 / 04:40 PM IST,
    Updated On - October 21, 2024 / 04:40 PM IST

(पीटर योंगकी गु, विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ऑफ वेलिंगटन और स्टीफन डॉब्सन, सीक्यूयूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया)

वेलिंगटन, 21 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) पश्चिमी दुनिया में एक व्यापक धारणा प्रचलित है: चीनी छात्रों को रटने वाली, निष्क्रिय शिक्षा के माध्यम से पढ़ाया जाता है – और इस तरह की शैक्षिक प्रणाली केवल साधारण श्रमिक ही पैदा कर सकती है जिनमें नवाचार या रचनात्मकता की कमी होती है।

हमारा तर्क है कि यह सच से कोसों दूर है। वास्तव में, चीनी शिक्षा प्रणाली अत्यधिक सफल छात्रों और अत्यंत कुशल और रचनात्मक कार्यबल का निर्माण कर रही है। हमें लगता है कि दुनिया इससे कुछ सीख सकती है।

इस वर्ष की शुरुआत में वायरल हुए एक वीडियो में एप्पल के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) टिम कुक ने कुशल श्रमिकों की बहुलता पर प्रकाश डाला था, जिसने उन्हें चीन की ओर आकर्षित किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका में आप उपकरणों से संबंधित इंजीनियरों की एक बैठक कर सकते हैं, और मुझे यकीन नहीं है कि हम कमरे को भर पाएंगे। चीन में तो आप कई फुटबॉल मैदानों को भर सकते हैं।’’

इस पर टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने तुरंत जवाब दिया: “सच है”।

जब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने इस वर्ष की शुरुआत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी बीवाईडी के शेन्ज़ेन मुख्यालय का दौरा किया, तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कंपनी आगामी दशक के भीतर अपने 100,000 सदस्यों वाली ‘इंजीनियरिंग टास्क फोर्स’ को दोगुना करने की योजना बना रही है।

यदि उन्हें पता होता कि चीनी विश्वविद्यालय प्रति वर्ष एक करोड़ से अधिक स्नातक तैयार कर रहे हैं – जो एक ‘सुपर-इकोनॉमी’ की नींव है – तो शायद उन्हें इतना आश्चर्य नहीं होता।

‘चीनी शिक्षण का विरोधाभास’

चीनी शिक्षार्थी अपने पश्चिमी – या गैर-कन्फ्यूशियस-विरासत – समकक्षों की तुलना में उल्लेखनीय सफलता स्तर प्राप्त करते हैं।

शंघाई ने 2009 में जब पहली बार पीआईएसए शैक्षिक मूल्यांकन में भाग लिया था, तब से चीन में 15 वर्ष के बच्चे चार में से तीन बार पाठन, गणित और विज्ञान में शीर्ष स्थान पर रहे हैं।

कथित निष्क्रिय और रटंत चीनी प्रणाली अपने पश्चिमी समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकती है? 1990 के दशक से कई ऑस्ट्रेलियाई विद्वान इस ‘‘चीनी शिक्षण के विरोधाभास’’ का अध्ययन कर रहे हैं।

उनके शोध से पता चलता है कि चीनी और अन्य एशियाई शिक्षार्थियों के बारे में आम धारणाएँ गलत हैं। उदाहरण के लिए दोहराव और सार्थक रूप से सीखना पारस्परिक रूप से विशिष्ट नहीं हैं।

पाश्चात्य शिक्षा से क्या सीखा जा सकता है?

शिक्षा पर जोर चीनी संस्कृति की एक परिभाषित विशेषता है। हान राजवंश (202 ईसा पूर्व-220 ईसवी) में कन्फ्यूशीवाद के राज्य-स्वीकृत सिद्धांत बनने के बाद से, शिक्षा चीनी समाज के हर हिस्से में प्रवेश कर गई है।

यह बात सुई राजवंश (581 ई.-618 ई.) के दौरान सिविल सेवा परीक्षाओं की केजू प्रणाली के संस्थागतकरण के बाद विशेष रूप से सत्य हो गई।

आज, गाओकाओ विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा आधुनिक केजू के बराबर है। हर साल लाखों स्कूली छात्र इस परीक्षा में बैठते हैं। हर बार जुलाई में तीन दिन के लिए, चीनी समाज गाओकाओ के लिए पूरी तरह से थम जाता है।

यद्यपि शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए सांस्कृतिक प्रेरणा इस प्रणाली में शामिल प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक प्रमुख प्रेरणा है, लेकिन यह ऐसी चीज नहीं है जिसे पश्चिमी समाजों में आसानी से सीखा और दोहराया जा सके।

(द कन्वरसेशन) नेत्रपाल मनीषा

मनीषा