कोरोना के बाद अब एक और वायरस ने बढ़ाई टेंशन, 10 दिनों के भीतर 92 नए मामलों की पुष्टि, WHO ने जारी की चेतावनी

कोरोना के बाद अब एक और वायरस ने बढ़ाई टेंशन : WHO issues warning regarding Monkeypox virus, know symptoms and remedies

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  • Publish Date - May 22, 2022 / 05:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:45 PM IST

नई दिल्लीः  WHO issues warning regarding Monkeypox  कोरोना के बाद दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स नाम के वायरस का खतरा मंडरा रहा है। केवल 10 दिनों के भीतर 12 देशों में 92 मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई है। इसी बीच अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि आगे भी मामले तेजी से बढ़ेंगे इसलिए सावधान रहने की जरूरत है। अभी इस समय यूरोप के कुल 9 देशों में मंकीपॉक्स ने जोरदार दस्तक दी है। बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पॉर्चुगल, स्पेन, स्वीडन और ब्रिटेन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ाई है।

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मंकीपॉक्स के लक्षण

WHO issues warning regarding Monkeypox  डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है। लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।

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मंकीपॉक्स संक्रमण के क्या कारण हैं?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स नामक वायरस के कारण यह संक्रमण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस समूह से संबंधित है। इस समूह के अन्य सदस्य मनुष्यों में चेचक और काउपॉक्स जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स के एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों या संक्रमित के निकट संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों में भी संक्रमण होने की आशंका रहती है।