यूक्रेन में हथियार के तौर पर ‘पारिस्थितिकी-संहार’ का इस्तेमाल, आईसीसी की अपराध सूची में हो शामिल

यूक्रेन में हथियार के तौर पर ‘पारिस्थितिकी-संहार’ का इस्तेमाल, आईसीसी की अपराध सूची में हो शामिल

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  • Publish Date - October 9, 2024 / 04:44 PM IST,
    Updated On - October 9, 2024 / 04:44 PM IST

(रेनेओ लुकिक, लावल विश्वविद्याल और सोफी मारिनेउ, कैथोलिक डी लौवेन विश्वविद्यालय)

क्यूबेक (कनाडा), नौ अक्टूबर (द कन्वरसेशन) रूस 24 फरवरी 2022 से यूक्रेन में एक साथ कई तरीके से युद्ध लड़ रहा है जिनमें पारंपरिक, हाइब्रिड या साइबर युद्ध, और पर्यावरण के खिलाफ ‘इकोसाइड’ (पारिस्थितिकी-संहार) जंग शामिल है।

‘पारिस्थितिकी संहार’ का इस्तेमाल युद्ध हथियार के रूप में देश के असैन्य बुनियादी ढांचे और ऊर्जा नेटवर्क को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने के लिए किया जाता है। मगर पारिस्थितिकी संहार पारंपरिक जंग के साथ होने वाला नुकसान भर नहीं है, बल्कि यूक्रेन के मामले में इसका मकसद क्षेत्र को आम लोगों के लिए रहने लायक नहीं छोड़ना है।

रूस यह सुनिश्चित कर रहा है कि वह यूक्रेन के सैन्य अभियान को यथासंभव नुकसान पहुंचाए, इसके लिए वह बुनियादी ढांचे और सड़कों को नष्ट कर रहा है और अधिकारियों को पुनर्निर्माण में समय और संसाधन लगाने के लिए मजबूर कर रहा है। किसी क्षेत्र को बचाने या पुनर्निर्माण में निवेश किया गया प्रत्येक संसाधन, चाहे वह मानवीय हो या भौतिक, सैन्य बलों को संसाधनों से वंचित करता है।

यह एक व्यापक युद्ध रणनीति है जिसका उद्देश्य कई क्षेत्रों में, खासकर सैन्य क्षेत्र में, यूक्रेनी क्षमताओं को सीमित करना है।

मैं लावल विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अंतरराष्ट्रीय संबंध का प्रोफेसर हूं और मेरी सह-लेखिका सोफी मैरिनेउ कैथोलिक डी लौवेन विश्वविद्यालय में इतिहास की डॉक्टरेट छात्रा हैं।

यूक्रेन में युद्ध और संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया हमारे शोध का केंद्र बिंदु रही है।

जानबूझकर की गई कार्रवाई

इतिहासकार डेविड ज़ियरलर के अनुसार, पारिस्थितिकी-संहार, युद्ध के हथियार के रूप में पारिस्थितिकी और पर्यावरण का जानबूझकर किया गया विनाश है।

पर्यावरण कानून के विशेषज्ञ लॉरेंट नेरेट ने पारिस्थितिकी-संहार को इस प्रकार परिभाषित किया है कि अपराधों की सूची में शामिल ऐसी कोई भी व्यापक या व्यवस्थित कार्रवाई जो पर्यावरण को व्यापक, स्थायी और गंभीर क्षति पहुंचाती है तथा जानबूझकर की गई होती और पूरी जानकारी के साथ की जाती है।

वियतनाम युद्ध

युद्ध के हथियार के रूप में पारिस्थितिकी संहार के अध्ययन का पता वियतनाम युद्ध से लगाया जा सकता है, जब अमेरिकियों ने बड़े पैमाने पर बमबारी अभियान चलाए थे ताकि क्षेत्र को आबादी के लिए निर्जन बनाया जा सके। तब से लेकर अब तक, पारिस्थितिकी संहार को अंतरराष्ट्रीय अपराध के रूप में मान्यता दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों द्वारा किए गए कई प्रयास विफल हो चुके हैं। यह संघर्ष आज भी जारी है।

फरवरी 2022 में रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने पारिस्थितिकी संहार को अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्यता नहीं देने की निंदा की है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) इसे अपराध के रूप में मान्यता नहीं देता।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय

नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध और आक्रामकता– इन चार अपराध पर आईसीसी का अधिकार क्षेत्र है।

अपने टेलीग्राम चैनल पर एक वीडियो में, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस आक्रामकता के युद्ध अपराध का दोषी है और जून 2023 में खाकोवका बांध के विनाश के बाद क्रूर पारिस्थितिकी संहार को (अपराध की) सूची में जोड़ा जा सकता है।

आईसीसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अन्य अपराधों से पारिस्थितिकी-संहार को शामिल कर ज़ेलेंस्की चाहते हैं कि युद्ध से हुई क्षति की गंभीरता की ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया जा सके।

यह कोई अकेला मामला नहीं है

दुर्भाग्य से, खाकोवका बांध इस युद्ध का एकमात्र मामला नहीं है। रूस ने ओस्किल और पेचेनिही सहित अन्य बांधों को भी निशाना बनाया है। इसने ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के आसपास भी हमले किए हैं।

गैर-बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय कानून

चूंकि पारिस्थितिकी-संहार वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराध नहीं है, इसलिए यूक्रेन पारिस्थितिकी-संहार के कथित अपराधियों पर अपने स्वयं की आपराधिक संहिता के तहत मुकदमा चला सकता है।

यूक्रेन अकेला ऐसा देश नहीं है जो पारिस्थितिकी-संहार को अंतरराष्ट्रीय अपराध के रूप में मान्यता दिलाने के लिए अभियान चला रहा है। वनुआतू ने 2019 में यह प्रस्ताव रखा था, जिसका हाल ही में फिजी और समोआ ने समर्थन किया था, जो प्रशांत महासागर के दो द्वीप देश हैं और जलवायु परिवर्तन एवं महासागरों के बढ़ते जलस्तर के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं। नौ सितंबर, 2024 को आईसीसी को एक औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया गया था।

द कन्वरसेशन

नोमान नरेश

नरेश