आर्थिक रूप से लगभग कंगाल हो चुके पाकिस्तान को अमेरिका ने एक और झटका देते हुए वर्तमान में जारी आर्थिक मदद को आधा कर दिया है। पाकिस्तान को यह राशि कैरी लुगर बर्मन एक्ट के तहत अमेरिका द्वारा साल 2009 से दी जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, कैरी लुगर कानून के तहत पाकिस्तान को जारी आर्थिक सहायता में कटौती करने के निर्णय इमरान खान की अमेरिका यात्रा के तीन सप्ताह पहले लिया गया था जिसकी जानकारी वाशिंगटन ने इस्लामाबाद को भी दे दी थी।
अक्टूबर 2009 में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा कैरी लुगर बर्मन (केएलबी) अधिनियम को संचालित करने के लिए पाकिस्तान एन्हांसमेंट पार्टनरशिप एग्रीमेंट (पीईपीए) को हस्ताक्षरित किया गया था। इसके तहत पांच वर्षों की अवधि में पाकिस्तान को 52,500 करोड़ रुपये (7.5 बिलियन डॉलर) की सहायता देने का वादा किया गया था।
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इस राशि में से अभी 6300 करोड़ रुपये (900 मिलियन डॉलर) पाकिस्तान को नहीं दी गई थी। जिसमें से 3080 करोड़ रुपये (440 मिलियन डॉलर) की राशि को देने से अमेरिका ने इनकार कर दिया है।
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इस समझौते के बाद से ही अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध बिगड़ने लगे और हाल में ही यह अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया। जिसके बाद से अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली कई आर्थिक सहायता को बंद कर दिया था।
आर्थिक मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान एकमात्र देश नहीं है जो हाल ही में सहायता में कटौती से प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि सहायता में कमी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रणनीति का हिस्सा है ताकि विकासशील देशों को सहायता कम की जा सके।
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कैरी लुगर बर्मन अधिनियम का उद्देश्य पाकिस्तान के आर्थिक बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से ऊर्जा और कृषि में निवेश करना था, ताकि पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा और जल संकट से उबरने में मदद मिल सके, पाकिस्तानी लोगों के दैनिक जीवन में सुधार हो और आर्थिक विकास के अवसर बढ़ें।
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7.5 बिलियन डॉलर में से 3.5 बिलियन डॉलर की राशि अधोसंरचना निर्माण के लिए, दो बिलियन डॉलर की राशि मानवीय और सामाजिक सेवाओं के लिए और शेष दो बिलियन डॉलर की राशि सरकारी विभागों की क्षमता विकसित करने के लिए दिया गया था।