अमेरिका अपनी एमटीसीआर निर्यात नियंत्रण नीतियों को भारत के लिए अद्यतन करेगा

अमेरिका अपनी एमटीसीआर निर्यात नियंत्रण नीतियों को भारत के लिए अद्यतन करेगा

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  • Publish Date - December 18, 2024 / 03:59 PM IST,
    Updated On - December 18, 2024 / 03:59 PM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 18 दिसंबर (भाषा) निवर्तमान बाइडन प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा ज्ञापन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के तहत अमेरिका की निर्यात नियंत्रण नीतियों को अद्यतन करेगा। यह एक ऐसा कदम है जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत और अमेरिकी कंपनियों के बीच अधिक सहयोग होने की संभावना है। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

अमेरिका के प्रधान उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने यहां संवाददाताओं को बताया कि एमटीसीआर के तहत निर्यात नियंत्रण नीतियों को अद्यतन करने का लक्ष्य भारत जैसे करीबी साझेदारों के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में वाणिज्यिक सहयोग को और आगे बढ़ाना है।

फाइनर ने कहा, ‘‘हम निजी क्षेत्र के सहयोग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कदम उठा रहे हैं और महत्वपूर्ण बात यह है कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा ज्ञापन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं, जो एमटीसीआर के तहत हमारी अपनी निर्यात नियंत्रण नीतियों को अद्यतन करेगा।’’

फाइनर, उप विदेश मंत्री कर्ट कैम्पबेल और अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा ने मंगलवार को ह्यूस्टन का दौरा किया और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात की, जो अगले वर्ष अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के संयुक्त अभियान को अंजाम देने के लिए नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

एमटीसीआर का गठन 1987 में जी7 देशों ने किया जो 35 सदस्य देशों के बीच एक अनौपचारिक राजनीतिक समझौता है जिसका उद्देश्य मिसाइल और मिसाइल प्रौद्योगिकी के प्रसार को सीमित करना है। भारत 2016 में एमटीसीआर का सदस्य बना।

फाइनर ने कहा कि ‘‘व्यावहारिक दृष्टि से, इसका अभिप्राय होगा कि अमेरिकी कंपनियों को भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने में कम बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।’’

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका न केवल अपने राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं, बल्कि अंतरिक्ष में सहयोगात्मक साझेदारी स्थापित करने के लिए भी मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के रूप में हमारा काम उद्योगों के लिए एक ऐसा मंच तैयार करना है, जहां वे एक साथ मिलकर तेजी से और बड़े पैमाने पर नवाचार कर सकें।’’

राष्ट्रपति के उप सहायक और राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद के कार्यकारी सचिव चिराग पारीख ने कहा कि अमेरिका-भारत अंतरिक्ष सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है और यह गैर सैन्य अंतरिक्ष क्षेत्र, विशेष रूप से पृथ्वी विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान एवं अन्वेषण पर आधारित है।

उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हम देखते हैं कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को किस तरह आगे बढ़ाया है, वे कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने चंद्रयान-3 नामक एक रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतारा है, और हम नासा के साथ मिलकर उन तत्वों के लिए कुछ ‘पेलोड’ प्रदान करने में सक्षम हुए हैं।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की जून 2023 में मुलाकात हुई और मानव अंतरिक्ष उड़ान और संयुक्त अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की गई, जिसमें वाणिज्यिक साझेदारी भी शामिल थी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमारी साझेदारी गैर सैन्य और वैज्ञानिक अन्वेषण से मानवीय और अब वाणिज्यिक सहयोग तक पहुंच गई है। जैसा कि हमने आज ह्यूस्टन में सीखा, हमारे, उद्योग और भारतीय उद्योग के पास अंतरिक्ष में सहयोग करने के अवसरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।’’

पारीख ने कहा, ‘‘हमें इस प्रकार के सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए बाधाओं को कम करने की आवश्यकता है। अगले वर्ष की शुरुआत में, हम भारत से एक उच्च-रिजॉल्यूशन सिंथेटिक अपर्चर रडार इमेजरी उपग्रह प्रक्षेपित करेंगे, जिसे नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन दोनों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा, जो हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का मानचित्र बनाने में सक्षम होगा, ताकि जलवायु संकट से निपटा जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा सहयोग अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ेगा, संभवतः राष्ट्रीय सुरक्षा क्षेत्र में भी, क्योंकि हम दुनिया भर में दिखाई देने वाले कुछ प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम होने के लिए मिलकर काम करते हैं। इसलिए, भारत और अमेरिका के बीच अवसरों की कोई सीमा नहीं है और ब्रह्मांड की विशालता की तरह इसका विस्तार हो सकता है।’’

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत