इस्लामाबाद, 31 अगस्त (एपी) संयुक्त राष्ट्र तालिबान सहित अफगानिस्तान में सभी हितधारकों के साथ संपर्क बनाए रखेगा, भले ही वहां के शासकों ने महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर बोलने और चेहरा खुला रखने पर प्रतिबंध लगा दिया हो।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) और इसकी प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा का बचाव करते हुए कहा कि नये कानून अफगानिस्तान के भविष्य के लिए एक ‘‘दुखद दृष्टिकोण’’ पेश करते हैं।
रोजा ने पिछले हफ्ते कहा था कि नये कानून महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर ‘‘पहले से ही लगे असहनीय प्रतिबंधों’’ को बढ़ाते हैं, यहां तक कि घर के बाहर ‘‘महिलाओं की आवाज’’ को भी नैतिक उल्लंघन माना जाता है।
तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा द्वारा मंजूर किये जाने के बाद ये कानून लागू किये गए। तालिबान ने 2021 में सत्ता हथियाने के बाद ‘‘सद्गुण के प्रचार और बुराई की रोकथाम’’ के लिए एक मंत्रालय की स्थापना की थी। उसका कहना है कि ये कानून शरिया कानून की उसकी व्याख्या पर आधारित हैं।
मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों, देशों और व्यक्तियों से मुसलमानों के धार्मिक मूल्यों का सम्मान करने का आह्वान किया। इसने शुक्रवार को घोषणा की कि वह इन कानूनों की आलोचना के कारण अब यूएनएएमए के साथ सहयोग नहीं करेगा।
दुजारिक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अफगानिस्तान में महिलाओं की सार्वजनिक मौजूदगी को लगभग खत्म करने के फैसले के खिलाफ हम बहुत मुखर रहे हैं। मेरा मतलब है कि हम अफगानिस्तान में तालिबान सहित सभी हितधारकों के साथ संपर्क बनाये रखेंगे।’’
एपी सुभाष माधव
माधव