‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ को अवश्य ही सेना में शामिल किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

'अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स' को अवश्य ही सेना में शामिल किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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  • Publish Date - June 25, 2024 / 03:24 PM IST,
    Updated On - June 25, 2024 / 03:24 PM IST

यरूशलम, 25 जून (एपी) इजराइल के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि सेना को ‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ से जुड़े लोगों को सैन्य सेवा में भर्ती करना शुरू कर देना चाहिए। यह फैसला ऐसे समय में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन का कारण बन सकता है जब इजराइल, गाजा में युद्ध में उलझा हुआ है।

‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ यहूदियों का एक समूह है, जिसे सेना में शामिल होने से छूट प्राप्त है।

न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यहूदी विद्यार्थियों और अन्य भर्ती किये गये लोगों के बीच अंतर करने वाले कानून के अभाव में इजराइल की अनिवार्य सैन्य सेवा प्रणाली अन्य नागरिकों की तरह ‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ से जुड़े लोगों पर भी लागू होती है।

इजराइल में लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था के तहत ‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ से जुड़े पुरुषों को इस व्यवस्था से छूट दी गई है जो कि अधिकांश यहूदी पुरुषों और महिलाओं के लिए अनिवार्य है।

ये छूट लंबे समय से धर्मनिरपेक्ष जनता के बीच गुस्से का कारण रही है और आठ महीने से जारी युद्ध के दौरान लोगों में गुस्सा और भी बढ़ गया है।

वहीं सेना ने हजारों सैनिकों को सैन्य सेवा में शामिल करने का आह्नान किया और कहा कि उसे जनशक्ति की बहुत जरूरत है।

युद्ध में अब तक 600 से ज्यादा सैनिकों की मौत हो चुकी है।

राजनीतिक रूप से शक्तिशाली ‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ पार्टियां नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में मुख्य साझेदार हैं और उन्होंने मौजूद प्रणाली में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया है। अगर छूट समाप्त कर दी जाती है तो यह गठबंधन सरकार के लिए झटका होगा और इस वजह से सरकार भी गिर सकती है तथा नये चुनाव कराने पड़ सकते हैं।

सरकार के वकीलों ने बहस के दौरान अदालत को बताया कि ‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ से जुड़े पुरुषों को मजबूर करने से इजराइली समाज का ताना-बाना नष्ट हो जाएगा।

अदालत का यह फैसला ऐसे संवेदनशील समय में आया है जब गाजा में जारी युद्ध नौवें महीने में प्रवेश कर गया है और युद्ध के दौरान मारे गये सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

न्यायालय ने पाया कि सरकार का चयन करने का तरीका गलत है, जो कानून के नियमों और उस सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन है, जिसके अनुसार कानून के समक्ष सभी व्यक्ति समान हैं।

शीर्ष अदालत ने यह नहीं बताया कि ‘अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स’ से जुड़े कितने लोगों को भर्ती किया जाना चाहिए।

एपी जितेंद्र नरेश

नरेश