यूक्रेन : बिजली संयंत्र के कर्मचारियों ने ट्रांसफॉर्मर के इर्द-गिर्द सुरक्षा कवच बनाया
यूक्रेन : बिजली संयंत्र के कर्मचारियों ने ट्रांसफॉर्मर के इर्द-गिर्द सुरक्षा कवच बनाया
कीव, 12 जनवरी (एपी) यूक्रेन में एक ऊर्जा संयंत्र के कर्मचारियों ने रूस के मिसाइल हमलों से बचे ट्रांसफॉर्मर के इर्द-गिर्द कंक्रीट के सुरक्षा कवच बना दिए हैं, ताकि भविष्य में मॉस्को के किसी भी संभावित मिसाइल हमले के दौरान उन्हें नुकसान पहुंचने का जोखिम न के बराबर रह जाए।
कर्मचारियों ने बिजली संयंत्र के नियंत्रण कक्ष में खिड़कियों के टूटे शीशों पर गत्ता चिपकाने के साथ ही उनके सामने रेत की बोरियों का ढेर लगा दिया है, ताकि देश में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम करने वाले कर्मचारियों के रूसी गोलियों या मिसाइलों के हाथों मारे जाने या घायल होने का जोखिम कम हो।
बिजली संयंत्र के निदेशक ने समाचार एजेंसी ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) से कहा, “जब तक कोई ऐसा उपकरण बचा है, जिसकी मरम्मत मुमकिन है, तब तक हम काम जारी रखेंगे।”
‘एपी’ की टीम को बहुत मुश्किल से उस संयंत्र तक पहुंच हासिल हुई। समाचार एजेंसी ने संयंत्र का नाम, उसकी जगह और कर्मचारियों की पहचान जाहिर नहीं की है, क्योंकि यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की जानकारियां रूसी सेना की मदद कर सकती हैं।
अधिकारियों ने बताया कि चूंकि, संयंत्र एक पल भी कर्मचारियों के बिना काम नहीं कर सकता, इसलिए संचालकों ने उनके लिए बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट की व्यवस्था की है, ताकि वे मिसाइल हमलों के दौरान भागकर बम रोधी शिविरों में शरण लेने के बजाय संयंत्र में रहकर उसकी कमान संभाल सकें।
अधिकारियों के मुताबिक, रूस का हर हवाई हमला युद्ध के कारण पहले से ही जर्जर हो चुकी संयंत्र की इमारत को और नुकसान पहुंचाता है, उसमें और गड्ढे और दरारें पैदा करता है। इससे भीषण ठंड के बीच यह चिंता और गहरा जाती है कि घरों में कितने समय तक बिजली आपूर्ति जारी रखी जा सकेगी।
हालांकि, विभिन्न चुनौतियों और बाधाओं के बीच संयंत्र के कर्मचारी बिजली आपूर्ति बहाल रखने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर पूरी बहादुरी के साथ दिन-रात वहां डटे हुए हैं। कल-पुर्जों के भंडार में लगातार आ रही कमी के बीच वे हमले में क्षतिग्रस्त ट्रांसफॉर्मर और अन्य हिस्सों की मरम्मत करते जा रहे हैं।
इन कर्मचारियों के लिए यह संयंत्र केवल बिजली उत्पादन का जरिया भर नहीं है। वर्षों से उसके मोटे तारों, ट्रांसफॉर्मर व अन्य चीजों का रखरखाव करते-करते वे संयंत्र को अपने बच्चों की तरह चाहने लगे हैं और किसी भी रूप में इसे बचाए रखना चाहते हैं। रूसी हमलों में इस संयंत्र को धीरे-धीरे जर्जर होते देखना उनके लिए बेहद कष्टदायी है।
संयंत्र में 23 साल से काम कर रहे एक कर्मचारी ने कहा, “यह स्टेशन एक प्राणी की तरह है, जिसके हर अंग की अपनी अहमियत है। लेकिन, बहुत सारे अंग पहले ही नष्ट हो चुके हैं।”
उन्होंने कहा, “यह सब देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती है। यह अमानवीय है। हमने इस संयंत्र को अपने हाथों से एक बच्चे की तरह संभाला है।”
एपी पारुल मनीषा
मनीषा

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