(अदिति खन्ना)
लंदन, एक दिसंबर (भाषा) ब्रिटेन के सांसदों ने संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में एक अंतर-दलीय चर्चा के दौरान पाकिस्तान में अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों की बिगड़ती धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के हनन के बारे में चिंता जताई है।
‘डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी’ (डीयूपी) के सांसद जिम शैनन द्वारा ‘पाकिस्तान: फ्रीडम ऑफ रिलीजन’ प्रस्ताव पेश किया गया।
शैनन अंतरराष्ट्रीय धार्मिक या आस्था की स्वतंत्रता के लिए ‘ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप’ (एपीपीजी) के अध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए चुनौतियों के कारण पाकिस्तान में स्थिति ‘गंभीर’ है।
उन्होंने दावा किया कि 1980 के दशक से हजारों मामले सामने आए हैं जो ईसाइयों, हिंदुओं और अहमदियों को प्रभावित करते हैं।
शैनन ने बृहस्पतिवार को चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान में स्थिति की वास्तविकता बहुत खराब है। यह बहुत गंभीर है। यह संकट के बिंदु पर है। मैं समझ सकता हूं कि कुछ लोग क्यों पूरी तरह से निराश महसूस करते हैं।’
लिबरल डेमोक्रेट सांसद पॉल कोहलर ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार जबरन धर्मांतरण और भीड़ के हिंसा के मामले में अपने नागरिकों की सुरक्षा करने के अपने बुनियादी कर्तव्य को पूरा करने में विफल हो रही है।
कंजर्वेटिव सांसद एंड्रयू रोसिंडेल ने ब्रिटेन और पाकिस्तान के बीच ‘‘घनिष्ठ और दीर्घकालिक’’ संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश, हिंदुओं पर भी हिंसा बढ़ रही है। जुलाई, 2023 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिंदू मंदिर पर हमला किया गया और जून, 2022 में कराची में एक हिंदू मंदिर को नष्ट कर दिया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि ब्रिटेन की सरकार एक बार फिर पाकिस्तानी सरकार के समक्ष इन चिंताओं को उठाएगी।’’
भाषा
शुभम
देवेंद्र