ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद सैन्य प्राथमिकताओं में व्यापक बदलाव की योजना

ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद सैन्य प्राथमिकताओं में व्यापक बदलाव की योजना

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  • Publish Date - October 13, 2024 / 07:25 PM IST,
    Updated On - October 13, 2024 / 07:25 PM IST

वाशिंगटन, 13 अक्टूबर (एपी) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना है कि यदि वह इस साल नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत हासिल करते हैं तो यूरोप और पश्चिम एशिया में जारी युद्ध के बावजूद सैन्य प्राथमिकताओं में व्यापक बदलाव कर सैन्यबलों को अन्य देशों से बुलाकर अमेरिकी धरती पर तैनात करेंगे।

ट्रंप को यदि दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुना जाता है तो रिपब्लिकन पार्टी और उनके सहयोगी अन्य देशों में तैनात अमेरिकी सैन्यबलों को बुलाकर उन्हें अमेरिका के नीतिगत लक्ष्यों के लिए इस्तेमाल करने की योजना तैयार करेंगे।

ट्रंप ने विदेशों से हजारों अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने और उन्हें मेक्सिको से लगी अमेरिकी सीमा पर तैनात करने का संकल्प लिया है। उन्होंने निर्वासन और अशांति से निपटने जैसी घरेलू नीतिगत प्राथमिकताओं के लिए सैनिकों के इस्तेमाल पर विचार किया है। उन्होंने उन सैन्य अधिकारियों को हटाने की बात की है जो वैचारिक रूप से उनके विरोधी हैं।

ट्रंप का दृष्टिकोण अमेरिकी समाज में सेना की भूमिका में संभवत: नाटकीय बदलाव की बात करता है।

राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार एवं उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के खिलाफ ट्रंप का प्रचार अभियान अपने अंतिम चरण में है, ऐसे में वह उन प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा कर रहे हैं जिनके पास स्थायी कानूनी दर्जा नहीं है।

पूर्व राष्ट्रपति एवं उनके सलाहकार सेना की प्राथमिकताओं और संसाधनों को ऐसे समय में बदलने की योजनाएं बना रहे हैं, जब यूरोप और पश्चिम एशिया में युद्ध जारी है। ‘एजेंडा 47’ के नाम से जाने जाने वाले ट्रंप के घोषणा पत्र में सर्वोच्च प्राथमिकता ‘‘वर्तमान में विदेशों में तैनात हजारों सैनिकों को’’ अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर तैनात करना है।

उन्होंने गिरोहों के खिलाफ ‘‘युद्ध की घोषणा’’ करने और नौसेना को पोतों की जांच में तैनात करने का वादा किया है। ट्रंप ने यह भी कहा है कि वह उन लाखों प्रवासियों को निर्वासित करने के अभियान के तहत ‘नेशनल गार्ड’ और संभवतः सेना का उपयोग करेंगे, जिनके पास स्थायी कानूनी नागरिक का दर्जा नहीं है।

ट्रंप के प्रचार अभियान ने यह बताने से इनकार कर दिया कि वह कितने सैनिकों को विदेशों से बुलाकर सीमा पर भेजेंगे, लेकिन उनके सहयोगी इस योजना को एक व्यापक मिशन के रूप में पेश कर रहे हैं जिसके तहत संघीय सरकार के सबसे शक्तिशाली उपकरणों का नए और नाटकीय तरीकों से उपयोग किया जाएगा।

राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के कार्यकाल में आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन के कार्यवाहक निदेशक के रूप में काम कर चुके रॉन विटिएलो ने कहा, ‘‘इस योजना के तहत विधि विभाग, गृह विभाग और रक्षा विभाग का गठबंधन हो सकता है। इन तीनों विभागों को इस तरह से समन्वित किया जाएगा जैसा शायद पहले कभी नहीं किया गया है।’’

वित्त पोषण और अन्य प्राधिकरणों के माध्यम से सैन्य बल के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने की शक्ति रखने वाली संसद में रिपब्लिकन नेता ट्रंप की योजनाओं से बड़े पैमाने पर सहमत हैं।

प्रतिनिधि सभा की ‘हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी’ के सदस्य जो विल्सन ने कहा, ‘‘मैं डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन इसलिए करता हूं क्योंकि वह पहले दिन से ही सीमा की सुरक्षा करेंगे। अब इसे तानाशाही समझा जा सकता है जो गलत है। उन्हें सीमा की सुरक्षा करनी होगी’’

बहरहाल, मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के पक्षधर ट्रंप की इन योजनाओं से चिंतित हैं।

आव्रजन की पैरोकारी करने वाले संगठन ‘एफडब्ल्यूडीडॉटयूएस’ के अध्यक्ष टॉड शुल्टे ने कहा, ‘‘वे अमेरिकी परिवारों पर बड़े पैमाने पर छापे मारने के लिए सेना का उपयोग करने का वादा कर रहे हैं, जो हमारे देश द्वारा किए गए कुछ सबसे बुरे कामों की याद दिलाता है।’’

एपी सिम्मी सुभाष

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