नई दिल्ली। श्रीलंका में 400 ग्राम दूध 790 रुपये का मिल रहा है। वहीं 1 किलो चावल भी अब 500 रुपये का हो चुका है। मुल्क के लोग भुखमरी और महंगाई से बचने के लिए भारत का रुख कर रहे हैं। मंगलवार को करीब 16 श्रीलंकाई समंदर के रास्ते भारत पहुंचे।
चीन सहित कई देशों के कर्ज में डूबा श्रीलंका दिवालिया घोषित हो सकता है। जनवरी में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 70% घटकर 2.36 अरब डॉलर रह गया है। वहीं श्रीलंका को अगले 12 महीनों में 7।3 अरब डॉलर (करीब 54,000 करोड़ रुपये) का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है। इसमें कुल कर्ज का लगभग 68% हिस्सा चीन का है। उसे चीन को 5 अरब डॉलर चुकाने हैं।
श्रीलंका से आए शरणार्थियों ने बताया कि ‘हमारे देश में चावल 500 श्रीलंकाई रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। 790 रुपये में 400 ग्राम दूध पाउडर मिल रहा है। एक किलो चीनी की कीमत 290 रुपये हो चुकी है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यही हालात रहे तो 1989 के सिविल वॉर जैसी स्थिति बन सकती है। इसकी वजह से पलायन बढ़ने की आशंका है।
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श्रीलंका की इस हालत के कई कारण हैं। कोरोना संकट के कारण देश का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसके साथ ही सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और टैक्स में कटौती ने हालात को और बदतर बना दिया। चीन का श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है। पिछले साल उसने देश में वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से और 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। अगले 12 महीनों में देश को घरेलू और विदेशी लोन के भुगतान के लिए करीब 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है।
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गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया है। भारत ने अपने पड़ोसी देश को 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा का कर्ज देने की घोषणा की है। इससे देश को विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने और खाद्य आयात में मदद मिलेगी।
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