(कैथरीन जेन आर्चर और गिजेल वुडली, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय; कैटरीन लैंगटन, डीकिन विश्वविद्यालय)
मेलबर्न, 26 नवंबर (द कन्सरवेशन)ऑस्ट्रेलियाई सेलिब्रिटी और ‘जनसंपर्क विशेषज्ञ’ रॉक्सी जैकेंको ने कहा है कि उन्हें अपनी बेटी पिक्सी कर्टिस को चाइल्ड सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर बनाने का अफसोस है।
तेरह वर्षीय बच्ची के इंस्टाग्राम अकाउंट का उपयोग उसकी मां द्वारा ब्रांड को प्रायोजित करने और पिक्सी बोज व पिक्सी टॉयज जैसे ऑनलाइन व्यवसायों के माध्यम से पैसा कमाने के लिए लंबे समय से किया जा रहा था। लेकिन जैकेंको अब कह रही हैं कि पिक्सी की सार्वजनिक छवि के नकारात्मक प्रभावों के मुकाबले पैसे का कोई मोल नहीं है, जिसमें स्कूल में उसका उत्पीड़न भी शामिल है।
इस स्वीकारोक्ति के साथ की 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध लगाने का सरकार का निर्णय, माता-पिता के लिए एक समयानुकूल चेतावनी है, उन्हें विचार करना चाहिए कि वे अपने बच्चों की तस्वीरें किस प्रकार ऑनलाइन साझा करते हैं – यहां तक कि हममें से उन लोगों के लिए भी जो अपने बच्चों को सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर नहीं बनाना चाहते हैं।
अभिभावकों की ‘शेयरेटिंग’ पर विचार
ऑस्ट्रेलिया के 613 अभिभावकों (जिनमें ज्यादातार माताएं थी) के बीच 2019 में गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 15प्रतिशत ने अपने बच्चों की तस्वीरें कम से कम हफ्ते में एक बार फेसबुक पर साझा कीं, जबकि 13 प्रतिशत ने कम से कम हफ्ते में एक बार यही कार्य इंस्टाग्राम पर किया। केवल 20 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने कभी भी फेसबुक पर तस्वीरें साझा नहीं कीं, और 37 प्रतिशत ने कभी भी इंस्टाग्राम पर तस्वीरें साझा नहीं कीं।
शोध में पाया गया है कि जो माता-पिता अपने बच्चों की तस्वीरें साझा नहीं करना चाहते, वे प्रायः निजता और भविष्य के परिणामों को लेकर आशंकित रहते हैं।
हालांकि, ‘इंफ्लुएंसर’ अभिभावकों द्वारा ऐसा करने (तस्वीरों को साझा करने) की अधिक आशंका है और अक्सर वे संभावित जोखिमों से अनजान होते हैं। फिर भी, उनमें से कई लोग अब इस परिपाटी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और अपने बच्चों की तस्वीरें ऑनलाइन साझा करने के विकल्प पेश कर रहे हैं।
हममें से एक (कैटरीन) द्वारा किए गए शोध के अनुसार, कई ऑस्ट्रेलियाई माता-पिता समझते हैं कि उनके बच्चों की तस्वीरें और विवरण (जैसे नाम, पता और स्कूल) को संवेदनशील जानकारी माना जा सकता है।
वे इस पहचान योग्य जानकारी को बुरे किरदारों (जैसे कि बाल यौन शोषकों) द्वारा उत्पन्न जोखिमों से जोड़ते हैं, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से उनके बच्चों को पहचान सकते हैं और उनका पीछा कर सकते हैं। ऐसी घटनाओं को लेकर मीडिया में प्रकाशित खबरों से ये चिंताएं और बढ़ जाती हैं।
कई माता-पिता जोखिम को कम करने के लिए कई तरह की रणनीति अपनाते हैं, जैसे कि ऑनलाइन साझा तस्वीर में बच्चों के चेहरे को धुंधला करना या उन्हें इमोजी से ढकना। वे छवि को ‘क्रॉप’ भी कर सकते हैं या बच्चे की पहचान छिपाने के लिए उन्हें कैमरे से दूर कर सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि कुछ लोग इसके बावजूद उक्त बच्चे की पहचान विभिन्न तरीकों से करने में सक्षम हो सकते हैं, जैसे कि ऑनलाइन ‘इमेज सर्च’ और कुछ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ऐप के माध्यम से छवि को फीड करके। तस्वीर के मेटाडेटा में यह विवरण भी शामिल हो सकता है कि वह कहां और कब ली गई थी, जिससे उसका पता लगाना आसान हो जाता है।
खतरों और लाभ में संतुलन
चिंताएं स्पष्ट हैं, लेकिन ऑनलाइन मंचों पर अपने बच्चों की तस्वीरें साझा करने से परिवारों को भी कई लाभ हो सकते हैं।
अपने बच्चों के बारे में साझा की जाने वाली जानकारी को सीमित करने से माता-पिता अपने साथियों से सामाजिक समर्थन प्राप्त करने और अपने बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जश्न मनाने के अवसरों से भी चूक सकते हैं। आखिरकार, कई परिवार सोशल मीडिया मंच का इस्तेमाल डिजिटल पारिवारिक एल्बम और महत्वपूर्ण यादों को संग्रहीत करने के माध्यम के रूप में करते हैं।
कैटरिन के शोध में यह भी पाया गया कि परिवार – विशेष रूप से विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार – विदेशों में रहने वाले प्रियजनों के साथ महत्वपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए भी इन मंचों का उपयोग कर सकते हैं।
इसी प्रकार, गैर-पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं वाले माता-पिता, जैसे कि समलैंगिक माता-पिता, अक्सर अपने पारिवारिक जीवन के अनुभव को गर्व से साझा करने, उसकी वकालत करने और उसे सामान्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण स्थान के रूप में सोशल मीडिया मंच पर निर्भर रहते हैं।
पोस्ट करने से पहले खुद से क्या सवाल करें
सोशल मीडिया पर 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर प्रतिबंध लगाने के कदम के बावजूद, ऐसा नहीं लगता कि ऑस्ट्रेलिया, बच्चों के छवि अधिकार कानून जैसे कानून के माध्यम से साझाकरण पर अंकुश लगाने में फ्रांस के नक्शेकदम पर चलेगा।
फ्रांस में, इस कानून का उद्देश्य बच्चों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करके शेयरेंटिंग (साझाकरण)के जोखिमों से निपटना है। इसका अभिप्राय है कि बच्चों की निजता की रक्षा करना माता-पिता के कानूनी कर्तव्य में से एक है – और कानूनी रूप से बच्चों से सलाह लेना अनिवार्य है।
फिर भी, माता-पिता अपने बच्चे की जानकारी, जिसमें तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं, साझा करने से पहले कई बातों पर विचार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे ये कर सकते हैं:
1) किसी बच्चे (यदि वह पर्याप्त बड़ा हो) के बारे में पोस्ट साझा करने से पहले उसकी सहमति लें।
2) सावधानी से साझा करें : सार्वजनिक माध्यमों से कम साझा करें या अपने दर्शकों के प्रति अधिक सजग रहें। सुनिश्चित करें कि स्कूल का लोगो जैसी पहचान योग्य जानकारी छवियों में शामिल न हो। आप तस्वीरों को मेटाडेटा से भी हटा सकते हैं।
3) उन संस्थानों की नीतियों और परंपराओं का अवलोकन करें, जिनका हिस्सा आपका बच्चा हो सकता है। जांच करें कि क्या वे वीडियो या तस्वीर लेने से पहले बच्चों की सहमति मांगते हैं – साथ ही बाहर निकलने के विकल्प देते हैं।
4) अपने बच्चे, जीवनसाथी और परिवार के अन्य सदस्यों (जैसे दादा-दादी) के साथ बातचीत करें कि आपके बच्चे की तस्वीरें साझा करने के मामले में कौन सा तरीका सहज है। आप दोस्तों और परिवार के सदस्यों से अनावश्यक रूप से तस्वीरें साझा करने से बचने के लिए कह सकते हैं।
5) सोशल मीडिया के बजाय परिवार और दोस्तों के साथ तस्वीरें साझा करने के लिए सजग रूप से पासवर्ड से सुरक्षित ऐप या ऑनलाइन मंच का चयन करें।
6) नियमित रूप से प्रत्येक मंच की प्रदान की गई निजता सेटिंग की समीक्षा करें, और इन सुविधाओं का उद्देश्यपूर्ण उपयोग करें। उदाहरण के लिए, आप अपने फेसबुक अकाउंट को ‘‘निजी’’ पर सेट कर सकते हैं, या केवल निजी फेसबुक समूहों का हिस्सा बन सकते हैं।
ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करने से कई तरह के जोखिम जुड़े होते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में लगातार उन्नत हो रही प्रौद्योगिकयों की वजह से पता नहीं चल पाया है। लेकिन इसके कई फायदे भी हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि परिवार के सभी सदस्य इन बारीकियों पर विचार करें और अपनी ऑनलाइन प्रवृत्ति के बारे में संतुलित, सोच समझकर निर्णय लेने की जिम्मेदारी साझा करें।
(द कन्वरसेशन)
धीरज नरेश
नरेश